बिहार की 60% जनता चाहती है बदलाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) ने कहा है कि इस बार रिकॉर्ड मतदान बदलाव का संकेत है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की 60% से अधिक जनता परिवर्तन चाहती है और जन सुराज को अब एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में देख रही है।
गयाजी में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “आजादी के बाद पहली बार बिहार में इतना ज्यादा वोटिंग प्रतिशत देखने को मिला है। यह दिखाता है कि लोग बदलाव के लिए वोट कर रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से बिहार की राजनीति में कोई ठोस विकल्प नहीं था, लेकिन जन सुराज के आने से लोगों को एक नया रास्ता मिला है।”
पीके ने कहा कि इस बार प्रवासी मजदूर चुनाव के “एक्स फैक्टर” बन गए हैं। “छठ के बाद जो प्रवासी मजदूर बिहार में रुके हुए थे, उन्होंने खुद वोट किया और अपने परिजनों को भी वोटिंग के लिए प्रेरित किया। महिलाओं से ज्यादा इस बार प्रवासी मजदूरों की भूमिका अहम रही है। यही लोग बिहार में बदलाव की बयार ला रहे हैं।”
उन्होंने दावा किया कि 14 नवंबर को बिहार का इतिहास लिखा जाएगा, क्योंकि जनता ने इस बार लोकतंत्र के पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। पीके ने कहा, “दो करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट किया है। यह दिखाता है कि जनता अब डर की राजनीति से बाहर निकल चुकी है।”
राजनीतिक हमले करते हुए उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के डर से लालू यादव को और लालू के डर से नीतीश कुमार को वोट देने की मजबूरी अब खत्म हो गई है। जनता को अब असली विकल्प मिल गया है।”
पीके ने एनडीए और राजद-कांग्रेस गठबंधन दोनों पर निशाना साधते हुए कहा, “सम्राट चौधरी कहते हैं कि पार्टी का चेहरा साफ है, लेकिन बिहार में आज भी असुरक्षा का माहौल है। पहले जनता झेलती थी, अब नेता और मंत्री झेल रहे हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी जिसमें कहा गया था कि राजद और कांग्रेस एक-दूसरे का बाल नोचेंगे। पीके ने कहा, “बाल नोचेंगे या सिर नोचेंगे, यह उनका काम है, लेकिन बिहार की जनता ने कल दिखा दिया कि अब उन्हें एक नया विकल्प मिल गया है।” अंत में उन्होंने कहा, “अब चुनाव सिर्फ सत्ता तय नहीं करता, बल्कि यह भी तय करता है कि विपक्ष में कौन होगा और कौन जनता के मुद्दों पर सड़क पर उतरेगा। जन सुराज की सबसे बड़ी सफलता यही है कि उसने बिहार को विकल्प दिया है।”





