बिना ‘ना’ कहे बच्चों को ऐसे कहें No, बिना गुस्से और डांट के मान जाएंगे आपकी हर बात!

बच्चे जिद्दी हो जाएं गुस्सा दिखाएं या फिर रोना-धोना मचाने लगें तो किसी भी माता-पिता के लिए यह सिचुएशन काफी स्ट्रेसफुल हो जाती है और कई बार वे हार मान लेते हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि बिना ना कहे भी बच्चों को नहीं कहा जा सकता है? जी हां! कुछ आसान तरीकों से आप बिना गुस्सा किए और डांटे बच्चों को अपनी बात समझा सकते हैं।

बच्चों को कोई भी बात समझाना या उन्हें किसी चीज से मना करना हमेशा आसान नहीं होता। खासतौर पर जब बात आती है “ना” कहने की, तो बच्चे अक्सर गुस्से में आ जाते हैं, नाराज हो जाते हैं और हमें लगता है कि हम सही तरीके से बात नहीं कर पाए।

ऐसे में, क्या आप जानते हैं कि बिना ‘ना’ कहे भी बच्चों को अपने फैसले समझाए जा सकते हैं? जी हां, बिना गुस्से या डांट के, आप बच्चों से वह सब कुछ कह सकते हैं जो आपको सही लगे। आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीके जिनसे आप बच्चों को ‘ना’ कहे बिना भी समझा सकते हैं (Saying No To Kids Without Saying No)।

पॉजिटिव तरीके से बात करें
जब आप किसी चीज के लिए ‘ना’ कहते हैं, तो बच्चों को यह महसूस हो सकता है कि वे मना किए गए हैं। इसके बजाय, आप अपनी बात को सकारात्मक तरीके से पेश कर सकते हैं। जैसे, “आज तुम यह नहीं कर सकते क्योंकि हम पहले से कुछ और प्लान कर चुके हैं, लेकिन कल जरूर कर सकते हो।” इस तरह, आप मना करने की बजाय, एक वैकल्पिक और सकारात्मक विकल्प देते हैं, जिससे बच्चे कम परेशान होते हैं।

बच्चों को ऑप्शन दें
बच्चों को निर्णय लेने का मौका देना उन्हें जिम्मेदारी का अहसास कराता है। आप उन्हें दो या तीन विकल्प दे सकते हैं, और यह भी समझा सकते हैं कि इन विकल्पों में से कौन सा उनके लिए बेहतर होगा। जैसे, “तुम्हें आज रंगीन पेंसिल से चित्र बनाना पसंद है या क्ले से कुछ बनाना?” इस तरह से बच्चे खुद तय करेंगे और आपको ‘ना’ नहीं कहना पड़ेगा।

उन्हें समझाएं, लेकिन प्यार से
जब आपको बच्चों को मना करना हो, तो उनकी स्थिति को समझने की कोशिश करें और विनम्रता से अपनी बात कहें। उदाहरण के लिए, “मुझे पता है कि तुम बहुत उत्साहित हो, लेकिन हमें अभी काम पूरा करना है, बाद में हम खेल सकते हैं।” यह तरीका उन्हें न सिर्फ समझने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें यह भी महसूस होगा कि आप उनके विचारों की कद्र करते हैं।

बच्चों के साथ संवाद बढ़ाएं
बच्चों के साथ खुला संवाद बहुत जरूरी है। अगर आप उन्हें बिना ‘ना’ कहे मना करना चाहते हैं, तो सबसे पहले उनकी बातें सुनें और फिर समझाने की कोशिश करें। जब बच्चे खुद को सुने जाने का अनुभव करते हैं, तो वे अधिक सहयोग करते हैं। “मैं समझता हूं कि तुम क्या कहना चाहते हो, लेकिन यह सही समय नहीं है, हम इसे बाद में देख सकते हैं।”

उनका ध्यान भटकाएं
अगर बच्चों का मन किसी चीज़ में अटका हुआ है और आप नहीं चाहते कि वे वह करें, तो आप उनका ध्यान किसी दूसरी चीज़ में खींच सकते हैं। “तुमने जो नया खिलौना लिया है, क्या तुम्हें लगता है कि वह इस खेल के लिए ज्यादा अच्छा होगा?” इस तरह, आप बिना ‘ना’ कहे उनकी रुचि बदल सकते हैं और बच्चे को समझा सकते हैं कि कोई और गतिविधि भी महत्वपूर्ण है।

अपने शब्दों का चुनाव सोच-समझकर करें
बच्चों से बात करते वक्त, जो आप कहते हैं वह काफी मायने रखता है। यह जरूरी नहीं कि आप बच्चों को हर बात के लिए ‘ना’ कहें, बल्कि आप अपनी बात को इस तरह से रखें कि बच्चे उसे आसानी से स्वीकार कर सकें। जैसे, “हम इसे अभी नहीं कर सकते, लेकिन हम इसे अगले हफ्ते देख सकते हैं,” इस तरह की बातें बच्चों को कम नकारात्मक लगती हैं और वे खुश रहते हैं।

अपने उदाहरण से सिखाएं
बच्चों को किसी चीज़ से मना करते वक्त, यदि आप खुद उसे सही तरीके से निभाते हैं, तो बच्चे उससे सीखते हैं। अगर आप उन्हें दिखाते हैं कि एक विशेष आदत या कार्य कितना महत्वपूर्ण है, तो वे उसे अपनाने में अधिक सहमत होंगे। उदाहरण के लिए, “मुझे भी कभी-कभी चीजों से मना करना पड़ता है, लेकिन हम जब धैर्य रखते हैं, तो हमें वह चीज़ फिर से मिल जाती है।”

बच्चों को बिना ‘ना’ कहे मना करना एक कला है, और इसे सीखने में समय लगता है। यह सिर्फ एक तकनीक नहीं है, बल्कि बच्चों के साथ अच्छे संबंध बनाने और उन्हें समझाने का तरीका है। जब आप बच्चों से प्यार और समझदारी से बात करते हैं, तो वे न सिर्फ आपकी बात मानते हैं, बल्कि आपके साथ एक अच्छा रिश्ता भी बना पाते हैं।

Back to top button