बाहर से दिख रहा था हरा तरबूज, काटते ही हैरान रह गया शख्स, लाल की जगह निकला ऐसा गूदा

गर्मियों में तरबूज का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. हरा-चमकीला छिलका, अंदर से लाल गूदा और रसीला स्वाद—यह तरबूज हर किसी का पसंदीदा फल है. लेकिन राजस्थान की एक मंडी से वायरल हुआ एक वीडियो लोगों को हैरान कर रहा है. इस वीडियो में एक शख्स ने हरा-चमकीला तरबूज खरीदा, लेकिन जब उसे काटा, तो लाल गूदे की जगह पीला गूदा निकला! यह अनोखा तरबूज अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. लोग इसे “जादुई तरबूज” कह रहे हैं, तो कुछ इसकी मिठास की तारीफ कर रहे हैं.
इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए इस वायरल वीडियो में एक शख्स राजस्थान की मंडी से हरा-चमकीला तरबूज खरीदता नजर आया. शख्स ने पहले लाल तरबूज मांगा था लेकिन दूकानदार ने उसे मना कर दिया. दुकानदार ने बताया कि उसके पास लाल तरबूज नहीं है. जब शख्स ने काटकर रंग देखना चाहा तो दुकानदार ने उसे एक तरबूज काटकर दिखा दिया. जैसे ही चाकू अंदर जाता है, सबके होश उड़ जाते हैं—अंदर का गूदा लाल नहीं, बल्कि चमकीला पीला निकला. ये देख शख्स हैरान रह गया.
नया आया है ट्रेंड
पीला तरबूज कोई नई बात नहीं है, लेकिन भारत में इसकी लोकप्रियता हाल के वर्षों में बढ़ी है. 2020 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने इसकी एक हाइब्रिड किस्म विकसित की थी, जो बाहर से हरे-धारीदार छिलके वाली दिखती है लेकिन अंदर से सुनहरा पीला गूदा देती है. झारखंड के रामगढ़ जिले में किसान राजेंद्र बेदिया ने 2020 में इसकी खेती शुरू की, जिसके बाद यह बाजार में छा गया. कासगंज के किसान रामप्रकाश ने भी 2022 में पीले तरबूज की खेती कर खूब नाम कमाया. उनका कहना है कि यह तरबूज लाल तरबूज से ज्यादा मीठा और रसीला है और थोक में 25 रुपये प्रति किलो बिकता है, जबकि हरा तरबूज 8-10 रुपये प्रति किलो. सीतामढ़ी, बिहार में भी किसान इसकी खेती कर लाखों कमा रहे हैं.
तरबूज की हाईब्रीड किस्म
विशेषज्ञों के अनुसार, पीला तरबूज (सिट्रुलस लैनाटस) एक हाइब्रिड किस्म है, जिसकी खेती सबसे पहले अफ्रीका में हुई थी. इसमें विटामिन बी6, मैग्नीशियम, और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मदद करते हैं. इसका स्वाद लाल तरबूज से ज्यादा मीठा होता है और इसमें पानी की मात्रा भी भरपूर होती है, जो गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाता है. लेकिन इसकी खेती में मेहनत ज्यादा लगती है. कासगंज के किसान रामप्रकाश के अनुसार, प्रति बीघा 10,000 रुपये की लागत आती है और फसल 55 दिनों में तैयार होती है.
लोगों को हुई हैरानी
सोशल मीडिया पर इस वीडियो ने लोगों को दो खेमों में बांट दिया है. कुछ इसे प्रकृति का अनोखा उपहार मान रहे हैं, तो कुछ इसे देखकर हैरान हैं. एक यूजर ने लिखा, “पहली बार देखा पीला तरबूज, स्वाद तो कमाल है!” वहीं, कुछ ने मजाक में कहा, “लगता है तरबूज ने आम से शादी कर ली!” लेकिन इस वायरल वीडियो ने एक गंभीर मुद्दे पर भी ध्यान खींचा है. राजस्थान के अलवर में हाल ही में फूड विभाग ने मंडी में तरबूज के सैंपल लिए क्योंकि कुछ फलों में मिलावट और चीनी सिरप की शिकायतें आई थीं. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पीला तरबूज प्राकृतिक हो न कि रासायनिक मिलावट का नतीजा.