बासनपीर में छतरी विवाद के बाद प्रशासन सख्त; धारा 163 लागू

बीते दिनों जिले के बासनपीर गांव में हुए छतरी विवाद से उपजे हालात को देखते हुए शांति और कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है, इस लिहाज से प्रशासन ने इलाके में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू करते हुए एक आधिकारिक आदेश जारी किया है।
जिले के बासनपीर गांव में बीते कुछ दिनों से लगातार बढ़ते तनाव और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए बड़ा फैसला लिया है। उपखंड अधिकारी एवं उपखंड मजिस्ट्रेट सक्षम गोयल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा-163 के तहत निषेधाज्ञा लागू करते हुए एक आधिकारिक आदेश जारी किया है। यह आदेश 16 जुलाई से प्रभावी हो चुका है और आगामी आदेश तक लागू रहेगा।
प्रशासन की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान हालात को देखते हुए शांति और कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में यह कदम पूरी तरह से एहतियातन सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया है। गौरतलब है कि बीते दिनों बासनपीर गांव में छतरी निर्माण को लेकर तनाव फैल गया था। जानकारी के अनुसार गांव के तालाब के समीप ऐतिहासिक छतरियां स्थित थीं, जो वर्षों पूर्व ध्वस्त हो चुकी थीं। एक पक्ष द्वारा इन छतरियों के पुनर्निर्माण की मांग लंबे समय से की जा रही थी। प्रशासन द्वारा जब इस मांग को मानते हुए निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गई तो अचानक गांव के ही एक अन्य समुदाय ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
10 जुलाई को सुबह जब पुनर्निर्माण कार्य के दौरान दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने मौके पर पहुंचकर विरोध जताया और देखते ही देखते स्थिति हिंसक हो गई। महिलाओं समेत भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और पुलिस को हालात काबू में करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। इस हिंसा में एक कांस्टेबल समेत चार लोग घायल हुए। मौके से पंद्रह से अधिक महिलाओं समेत कुल दो दर्जन से अधिक लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा।
विवादित घटना के बाद बासनपीर गांव में तैनात पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्र में शांति बहाल कर दी थी लेकिन मामला यहीं नहीं थमा। धीरे-धीरे यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेने लगा। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने गांव में दौरा करने और सभाएं आयोजित करने की घोषणाएं करना शुरू कर दिया। इसके चलते एक बार फिर माहौल के बिगड़ने की आशंका प्रशासन को सताने लगी।
10 जुलाई को झगड़े के बाद मौके पर जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी, पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी, शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी और पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी सहित कई भाजपा नेता भी यहां पहुंचे थे। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के 16 जुलाई को और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी के 19 जुलाई को बासनपीर पहुंचने की घोषणा के बाद से प्रशासन की चिंताएं और बढ़ गईं। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन ने किसी भी प्रकार की सभा, रैली, जुलूस या भीड़ एकत्रित होने की संभावनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया और तत्काल प्रभाव से क्षेत्र में धारा-163 लागू कर दी।
क्या है धारा 163?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा-163, पूर्ववर्ती धारा-144 के स्थान पर लागू की गई है। इसके अंतर्गत प्रशासन को यह अधिकार प्राप्त होता है कि जब किसी क्षेत्र में सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका हो, तो वहां निषेधाज्ञा लागू कर किसी भी प्रकार की भीड़, सभा या आंदोलन पर रोक लगाई जा सकती है। साथ ही सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भड़काऊ या अफवाह फैलाने वाले संदेशों के प्रचार-प्रसार पर भी नियंत्रण रखा जाता है।
एसडीएम सक्षम गोयल ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश की अवहेलना करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा-223 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी प्रकार की ढील या छूट के लिए प्रशासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जनसुरक्षा सर्वोपरि है और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह आदेश 16 जुलाई को हस्ताक्षरित व जारी किया गया है और इसके साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। बासनपीर गांव और आसपास के क्षेत्रों में प्रशासनिक निगरानी लगातार जारी है।