जानें बांग्लादेश से क्या सीख सकता है भारत, एक बार जरुर पढ़े पूरी खबर..

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना गुरुवार को चार दिवसीय दौरे पर भारत पहुंची थीं. ऐसा समझा जा रहा था कि इस दौरान दोनों देशों के बीच कोई बड़ी घोषणा हो सकती है.

कल शनिवार को द्विपक्षीय मुलाक़ात में दोनों देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार समेत कई क्षेत्रों को लेकर सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. साथ ही बांग्लादेश से एलपीजी गैस आयात समेत तीन परियोजनाओं की शुरुआत भी हुई. इस एलपीजी का इस्तेमाल पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में किया जाएगा.

इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें बेहद ख़ुशी है कि पिछले एक साल में उन्होंने बांग्लादेश के साथ वीडियो लिंक के ज़रिए नौ परियोजनाएं पेश की हैं.

उन्होंने ख़ुशी जताई की इससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ होगा और दोनों देशों के नागरिकों का विकास ही भारत-बांग्लादेश की साझेदारी का आधार है.

इस दौरान तीस्ता नदी जल बंटवारे और रोहिंग्या-एनआरसी जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा देखने को नहीं मिली जबकि यह समझा जा रहा था कि तीस्ता नदी का मुद्दा फिर उठ सकता है.

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वहीं, शेख़ हसीना ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि न्यूयॉर्क में उनकी एनआरसी पर प्रधानमंत्री मोदी से बात हुई थी और उन्होंने इसको लेकर बेफ़िक्र रहने को कहा था. इस वजह से समझा जा रहा था कि उनके इस दौरे पर एनआरसी पर कोई बात नहीं होगी.

कुल मिलाकर बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के इस चार दिवसीय दौरे को कितना सफल माना जाना चाहिए और इससे भारत को क्या हासिल हुआ? इस सवाल पर पूर्व राजनयिक वीना सीकरी कहती हैं कि शेख़ हसीना का यह बहुत सफल दौरा रहा है.

वह कहती हैं, “भारत और बांग्लादेश के संबंध इस समय उच्च स्तर पर हैं. बीते पांच सालों में ज़मीनी सीमा समझौता, समुद्री सीमा समझौता हो चुका है. इसके अलावा हर एक सेक्टर में तरक्की हुई है.”

हालांकि हालिया शेख़ हसीना के दौरे में भारत और बांग्लादेश के बीच कोई बहुत बड़ा समझौता नहीं हो पाया है. इस पर वीना सीकरी कहती हैं कि जो भी समझौते हुए हैं वो पहले हुए समझौतों का ही विस्तार है और हर दौरे पर कोई धमाकेदार चीज़ होना ज़रूरी नहीं है.

बीते कुछ सालों में बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथ को लेकर कड़ी कार्रवाई होते देखी गई है. शेख़ हसीना के इस दौरे के दौरान आतंकवाद पर भी दोनों देशों ने बात की है. आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर दोनों देशों का साथ आना भी बड़ी बात है.

भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी का जल बंटवारा अहम मुद्दा रहा है. बांग्लादेश चाहता है कि इस पर जल्द से जल्द कोई समझौता होना चाहिए.

बांग्लादेश में भारत के पूर्व राजनयिक रहे मुचकुंद दुबे कहते हैं कि भारत आज तक बांग्लादेश की उम्मीदों पर ख़रा नहीं उतर पाया है और वह चाहता है कि तीस्ता के पानी का बंटवारा हो.

वह कहते हैं, “तीस्ता जल बंटवारे का मुद्दा क़रीब-क़रीब सुलझ चुका था लेकिन देश की आंतरिक राजनीति के कारण वह लटक गया. बांग्लादेश की ज़मीन के ज़रिए पूर्वोत्तर भारत में सामान भेजने का समझौता और बांग्लादेश के मूंगला और चटगांव बंदरगाहों से विदेश में सामान निर्यात करने के समझौते पर शेख़ हसीना मान गई थीं लेकिन वह अब तक लागू नहीं हो पाया है और इसका मुख्य कारण भारत से उसकी उम्मीदें पूरा न होना है.”

वहीं, वीना सीकरी कहती हैं कि भारत और बांग्लादेश के संबंध इस समय बेहद अच्छे दौर में हैं, पिछले पांच सालों में दोनों देशों की जनता के लिए अच्छे समझौते हुए हैं.

हालांकि, वह तीस्ता जल बंटवारे को बड़ा मुद्दा नहीं मानती हैं. वह कहती हैं, “नदियों के जल बंटवारे पर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है और तीस्ता पर बातचीत होती रही है. साथ ही तीस्ता पर एक समिति बनी है जो इस पर अपनी राय देगी. तीस्ता नदी के जल बंटवारे पर समझौता न होने से बांग्लादेश के लिए कोई नुक़सान नहीं है क्योंकि बांग्लादेश में पूरा पानी जा रहा है. पश्चिम बंगाल में सिंचाई परियोजनाओं पर काम चल रहा है जिसके कारण यहां पानी नहीं रोका जाता है.”

“तीस्ता पर एक सर्वे की ज़रूरत है क्योंकि यह एक ऐसी नदी है जिसमें बहुत अधिक समय तक सूखे की स्थिति रहती है. इस पर सर्वे करने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि कब किसको कितना पानी मिल पाएगा.”

बांग्लादेश के भारत से हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं लेकिन हाल के सालों में उसकी चीन से भी नज़दीकी बड़ी है. चीन ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए बांग्लादेश को 20 अरब डॉलर दिए हैं तो क्या इससे भारत को डरने की ज़रूरत है.

इस पर मुचकुंद दुबे कहते हैं, “भारत को उन चीज़ों के बारे में सोचना चाहिए जिससे दोनों देश और नज़दीक आएं. भारत और बांग्लादेश के बीच एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता होना चाहिए. जो अभी तक नहीं हुआ है और दोनों देश सिर्फ़ अलग-अलग समझौतों तक ही सीमित है.”

भारत और बांग्लादेश के बीच हुए समझौतों में एलपीजी निर्यात और त्रिपुरा के सबरूम शहर में पीने के पानी की आपूर्ति की व्यवस्था करने जैसे समझौते शामिल हैं. बांग्लादेश उस स्थिति में है जब वह भारत के बेहद काम आ रहा है.

1971 में बांग्लादेश के गठन के समय उसकी आर्थिक स्थिति ख़स्ता थी लेकिन आज उसकी अर्थव्यवस्था ठीक चल रही है और कुछ सूचकांकों में वह भारत से भी बेहतर है.

मुचकुंद दुबे कहते हैं, “आज बांग्लादेश शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर जैसे सूचकांकों में भारत से बेहतर स्थिति में है. सामाजिक क्षेत्रों में वह हमसे कई जगहों पर आगे बढ़े हैं. बांग्लादेश आज किसी के सहारे नहीं है.”

वहीं, वीना सीकरी का कहना है, “दक्षिण एशिया में बहुत सी चीज़ें हैं जो दो देश आपस में सीख सकते हैं. मानव विकास सूचकांक में बांग्लादेश ने ख़ासी तरक्की की है. इससे भारत बहुत कुछ सीख सकता है.”

एशियन डेवलवपमेंट बैंक की हालिया रिपोर्ट में बांग्लादेश को दक्षिण एशिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया गया था. 2016 तक बांग्लादेश हर साल 7 फ़ीसदी की दर से विकास कर रहा था जो अब 8 फ़ीसदी को भी पार कर सकती है.

वीना सीकरी कहती हैं कि बांग्लादेश ने अपनी हालिया वृद्धि दर से बता दिया है कि वह आगे बढ़ रहा है, इस वजह से भारत और बांग्लादेश को अपने सहयोग को और बढ़ाना चाहिए. दोनों देशों के बीच व्यापार 10 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है, जो भविष्य में और बढ़ेगा ही.

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