बांग्लादेश में हिंदू व्यक्ति की हत्या पर तस्लीमा नसरीन का दावा

बांग्लादेश में शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भारी बवाल देखने को मिल रहा है। भारी बवाल के बीच प्रदर्शनकारियों ने एक हिंदू युवक को बेरहमी से मार डाला। इस बीच निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने दावा किया कि मारे गए हिंदू युवक पर एक मुस्लिम सहकर्मी ने ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया था।

दरअसल, ईशनिंदा के आरोप में ही भीड़ ने हिंदू युवक को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। तस्लीमा नसरीन ने शनिवार को कहा कि दीपू पुलिस सुरक्षा में होने के बावजूद यह भयानक घटना हुई।

भीड़ ने बांग्लादेश में हिंदू युवक को बनाया निशाना

अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दीपू का पुलिस सुरक्षा में होने का एक वडियो शेयर करते हुए नसरीन ने कहा कि दीपू चंद्र दास मैमनसिंह के भालुका में एक फैक्ट्री में काम करता था। वह एक गरीब मजदूर था। एक दिन, एक मुस्लिम सहकर्मी उसे किसी मामूली बात पर सज़ा देना चाहता था, इसलिए उसने भीड़ के बीच ऐलान कर दिया कि दीपू ने पैगंबर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है। बस इतना ही काफी था।

आगे उन्होंने कहा कि पैगंबर के उन्मादी अनुयायी लकड़बग्घों की तरह दीपू पर टूट पड़े और उसे फाड़ना शुरू कर दिया। आखिरकार, पुलिस ने उसे बचाया और हिरासत में ले लिया। इसकी सीधा मतलब है कि वह पुलिस सुरक्षा में था।

‘साथ में काम करने वालों के खिलाफ नहीं हुआ एक्शन’

बांग्लादेशी लेखिका नसरीन ने यह भी कहा कि दीपू ने पुलिस को बताया कि क्या हुआ था, उसने खुद को बेगुनाह बताया और जोर देकर कहा कि उसने पैगंबर के बारे में कोई कमेंट नहीं किया था और आरोप लगाया कि यह घटना उसके साथ काम करने वाले की साजिश थी।

नसरीन का कहना है कि पुलिस ने साथ काम करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस में कई लोग जिहाद को पसंद करते हैं। क्या इसी जिहादी जोश में उन्होंने दीपू को उन कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया? या जिहादी आतंकियों ने पुलिस को हटाकर दीपू को थाने से बाहर निकाल लिया?

परिवार में अकेले कमाने वाले थे दीपू चंद्र दास

नसरीन का कहना है कि दीपू चंद्र दास अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनकी कमाई से उनके विकलांग पिता, मां, पत्नी और बच्चा गुजारा करते थे। नासरिन ने सवाल किया कि अब उस परिवार का क्या होगा? इन पागल हत्यारों को सज़ा कौन दिलवाएगा? दीपू के परिवार के पास जिहादियों के हाथों से बचने के लिए भारत भागने के लिए भी पैसे नहीं हैं। गरीबों का कोई नहीं है। उनके पास न कोई देश बचा है, न ही कोई धर्म बचा है। 

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