बहनों ने लिया चीन से बदला, रक्षाबंधन पर नहीं खरीदी चीनी राखी, चीन को 600 करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति की जिद और बेवकूफी का खामियाजा चीन की अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ रहा है। इस बार देश में चीनी राखियों को कारोबार 95 प्रतिशत तक कम हो गया जिससे चीन को करीब 600 करोड़ का नुकसान हो गया है।चीनी राखियों को कारोबार

डोकलाम विवाद के चलते चीन के व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है। इस बार रक्षाबंधन में भी चीनी राखियों की मांग काफी कम रही है। देश की युवा पीढ़ी दोबारा कच्चे धागों की ओर लौटती दिखी।

छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि इस बार बाजार में चीनी राखियां तो बहुत कम थीं पर भारत में बनी हुई राखियों पर चीन में बने सामान लगाए गए थे। ये कोलकाता में बनी हुई बताई जा रही हैं। उनका कहना है कि चीनी सेना के डोकलाम में दादागिरी दिखाने का नुक्सान उसे भारतीय बाजारों में उठाना पड़ रहा है।

दीपावली और होली के त्यौहारों पर हुए चीनी सामानों के बहिष्कार से अभी चीनी बाजार उबर भी नहीं पाया था कि डोकलाम में उसकी सेनाओं की बेवकूफी की वजह से उसको भारी नुक्सान उठाना पड़ा।

लोगों के चीनी राखी नहीं खरीदने की वजह से वहां से आने वाली राखियों की मांग में भारी कमी आई है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच रक्षाबंधन पर करीब 600.50 करोड़ रुपये के राखियों का कारोबार होता है जो कि इस साल 50 लाख के पास सिमट चुका है।

पहले सस्ता होने की वजह से लोग चीनी राखी ज्यादा पसंद करते थे लेकिन इस साल लोग भारत में बनी राखियों को ज्यादा खरीद रहे हैं।

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