बदरीनाथ गाडू घड़ा नहीं ले जाएंगे तीर्थ पुरोहित, सरकार को दी चेतावनी

 सरकार के श्राइन बोर्ड गठन के निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल चुके तीर्थ पुरोहितों ने अनादिकाल से चली आ रही परंपरा को तोड़ने का एलान किया है। उन्होंने आगामी वसंत पंचमी को गाडू घड़ा बदरीनाथ न ले जाने की बात कही है। साथ ही सरकार को चेतावनी दी है कि यात्रा काल में चारों धामों में कोई व्यावसायिक गतिविधि संचालित नहीं होने दी जाएगी।

प्रदेश सरकार की ओर से चार धाम मंदिर श्राइन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव कैबिनेट में पास होने के बाद से प्रदेशभर के तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारियों में उबाल है। ऐसे में देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के बैनर तले तीर्थ पुरोहितों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।

उनकी सरकार के से यह निर्णय वापस लेने की एक सूत्रीय मांग है। विरोध के क्रम में शनिवार को आयोजित महापंचायत की एक अहम बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी यात्राकाल से पूर्व वसंत पंचमी को गाडू घड़ा बदरीनाथ ले जाने की पंरापरा को नहीं किया जाएगा। महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा कि किसी कीमत पर श्राइन बोर्ड का गठन नहीं होने दिया जाएगा।

विरोध स्वरूप सभी तीर्थ पुरोहित तीन दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि धर्माचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी शिष्य शंकराचार्य स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद भी तीर्थ पुराहितों का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश में स्वरूपानंद सरस्वती से मुलाकात कर मामले पर चर्चा करने की बात कही है। इस दौरान यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, तीर्थ पुरोहित कृतेश्वर उनियाल, गंगोत्री नगर पंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष उमेश सती, सुरेश डिमरी, विपुल डिमरी, शिव प्रसाद आदि उपस्थित थे। शहीद स्मारक पर दिया धरना: महापंचायत ने शनिवार सुबह कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर सांकेतिक धरना दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

गोपाल रावत (विधायक गंगोत्री) का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूक बरकरार रहने चाहिए। लेकिन, यात्रा व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए सरकार कुछ अच्छा कर रही है तो उसका विरोध नहीं होना चाहिए। अभी मैंने विधेयक को नहीं पढ़ा है। विधेयक के बारे में अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को अब सियासी रंग भी चढ़ने लगा है। कांग्रेस की ओर से बोर्ड का विरोध किए जाने पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. देवेंद्र भसीन ने बोर्ड के गठन को ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि यह चारधाम के विकास की नई इबारत लिखेगा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि सरकार के फैसले की आलोचना कर कांग्रेस ने अपने विकास विरोधी चरित्र को उजागर किया है। डॉ.भसीन ने कहा कि चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन का निर्णय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का अहम फैसला है। नई व्यवस्था में जहां पुरोहित समाज के हक-हकूक सुरक्षित रखे गए हैं, वहीं पूजा पद्धति व अन्य परंपराओं में सरकार कोई बदलाव व हस्तक्षेप नहीं करेगी। बोर्ड के गठन से चारधाम व इससे जोड़े गए 51 मंदिरो का बड़े स्तर पर विकास होगा।

उत्तराखंड में चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के कैबिनेट के फैसले को लेकर उठ रहे विरोध के सुरों के बीच सरकार ने फिर साफ किया है कि चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में सभी हक-हकूकधारियों के अधिकार सुरक्षित रखे जाएंगे। शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि श्रइन बोर्ड के अस्तित्व में आने पर चारधाम में सभी परंपराएं बरकरार रहेंगी। साथ ही हितधारकों के हितों से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। चारधाम श्रइन बोर्ड को लेकर पुरोहित समाज में उबाल है। उनका कहना है कि सरकार ने इस मसले में पुरोहित समाज के साथ ही हितधारकों से कोई राय तक लेने की जरूरत नहीं समझी। हालांकि, सरकार का कहना है कि बोर्ड में चारधाम के सभी हितधारकों के अधिकारों में कटौती नहीं होगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ये भी साफ कर चुके हैं कि यदि किसी को कोई आशंका है तो वह तीन दिसंबर तक अपने सुझाव सरकार को दे सकता है। इस बीच शनिवार को शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि चारधाम श्राइन बोर्ड के अस्तित्व में आने पर चारधाम व इनके नजदीकी अन्य मंदिरों के विकास के साथ ही यात्र व्यवस्थाओं का प्रबंधन बेहतर ढंग से हो सकेगा। उधर, चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं ने कहा कि बोर्ड के अस्तित्व में आने पर चारधाम में भीतर की व्यवस्थाओं में कोई बदलाव नहीं होगा।

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