बढ़ती कीमत ने घटाई गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड, लेकिन फिर भी रेट में हो सकता है इजाफा

बीते कुछ महीनों में सोने के दाम में आई रिकॉर्ड तेजी का असर सीधा इसकी बिक्री पर पड़ा है। इस साल की पहली तिमाही में सोने की बिक्री में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा असर गोल्ड ज्वेलरी पर पड़ा है, जिसमें 25 फीसदी की गिरावट आई है।
भारत में आमतौर पर सबसे ज्यादा सोने की खरीदारी त्योहार या उत्सव और शादी के समय होती है। लोग बढ़ती कीमत के बावजूद इस समय सोना जरूर खरीदते हैं। लेकिन इस बार ऊंची कीमतों के चलते कई लोगों के लिए सोना पहुंच से बाहर हो गया।
कितनी बढ़ी या घटी सोने की ब्रिकी?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ओर से जारी डेटा के मुताबिक, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत में सोने की डिमांड 118.1 टन रही, जो पिछले साल इसी अवधि में 139 टन थी। वहीं गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड 25 फीसदी घटकर 71.4 टन रह गई। यह 5 सालों में सबसे कम है। हालांकि, सोने की ऊंची कीमतों के चलते मूल्य के आधार पर बिक्री सालाना आधार पर 8% बढ़त दर्ज करने में सफल रही।
निवेश के लिए सोने की डिमांड 7% बढ़ी
पहली तिमाही में सोने की कीमत बढ़कर 79,633 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गई थी। लेकिन इस के बावजूद सोने में निवेश की मांग 7 फीसदी से बढ़कर 46.7 टन हो गई है। क्योंकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने को सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जाता है। बढ़ती कीमत के चलते लोग सोने में मिलने वाले अन्य विकल्प की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड, सोने के सिक्के इत्यादि शामिल हैं।
ग्लोबल मार्केट का कैसा रहा हाल?
पहली तिमाही से मिले आंकड़ों के अनुसार ग्लोबल मार्केट में सोने की डिमांड 1 फीसदी तक बढ़ी है। जो अब 1206 टन पहुंच चुकी है। जिसका कारण ईटीएफ में बढ़ते निवेश और सेंट्रल बैंक द्वारा सोने में निवेश को माना जा रहा है।
आगे सोने की मांग बढ़ेगी या नहीं?
आमतौर पर जब भी किसी वस्तु की डिमांड में गिरावट आती है, उसके दाम भी गिरने लगते हैं। लेकिन सोने पर ये नियम लागू नहीं होता। सोना भारत में सिर्फ निवेश का विकल्प नहीं है। इससे लोगों की भावनाएं भी जुड़ी है। रिटेलर्स को उम्मीद है कि शादी या उत्सव के समय सोने की डिमांड फिर से बढ़ेगी।