बढ़ती उम्र के साथ कमजोर होने लगती हैं मांसपेशियों, मसल्स को मजबूत बनाए रखने के लिए करने चाहिए ये काम

क्या आप जानते हैं कि 30 वर्ष की उम्र के बाद हर दशक में हमारी मांसपेशियां तीन से आठ प्रतिशत तक कम होने लगती हैं। ऐसे में 35-40 वर्ष की उम्र में आने के बाद मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने (Muscle Building) के लिए हमें क्या करने की जरूरत होती है आइए जानें।
उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों को सही स्थिति में बरकरार रखने की चुनौती कठिन होती जाती है। यहां तक कि अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं, तो भी आपको आचार का जार खोलने या सूटकेस उठाने में थोड़ी कठिनाई महसूस होने लगती है, जो काम आप युवा अवस्था में बड़ी ही सहजता से कर लेते थे।
विशेषज्ञों की मानें तो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और प्रोटीन की प्रचुरता वाली डाइट लेने के बावजूद उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की संवेदनशीलता कम होने लगती है। इसी तरह पुरुषों में टेस्टोरोन और महिलाओं में एस्ट्रोजन जैसे सेक्स हार्मोंस भी नई मांसपेशियां बनाने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करने लगते हैं।
साथ ही उम्र के साथ क्रोनिक इन्फ्लेमेशन (सूजन) भी बढ़ता है, जिससे शरीर नई मांसपेशियों को बनाने और मरम्मत में संघर्ष करने लगता है यानी आपको स्वस्थ रखने के लिए उम्र बढ़ने पर आपके इम्यून सिस्टम को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
लेकिन, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जैविक स्थिति ही सब कुछ नहीं होती, आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के जरिए इन सभी बदलावों को धीमा कर सकते हैं। रेजिस्टेंस ट्रेनिंग आपके रिटायरमेंट की बचत की तरह है आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ही बेहतर परिणाम प्राप्त होगा। हालांकि, शुरुआत जब भी करेंगे, लाभ तो मिलेगा ही।
परिवर्तन गति को कर सकते हैं धीमा
अनेक अध्ययनों से यह स्पष्ट है कि 30 वर्ष की उम्र के बाद आप हर दशक में तीन से आठ प्रतिशत तक मांसपेशी द्रव्यमान खोने लगते हैं और 50 की उम्र के बाद यह दर और बढ़ जाती है। ऐसा शारीरिक परिवर्तन के साथ-साथ व्यायाम की आदत में आ रही कमी के कारण भी होता है। आप मांसपेशियों का इस्तेमाल जितना कम करेंगे, यह उतनी ही निष्क्रिय होती जाएंगी।
उम्र बढ़ने के साथ गिरावट की यह गति तीव्र होती है। व्यायाम से दूर भागने की आदत अधिक नुकसानदेह ही साबित होती है। अगर आप अभी तक शारीरिक तौर पर निष्क्रिय रहे हैं तो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की शुरुआत कर मांसपेशियों की गिरावट को कम कर सकते हैं। वेट उठाना हो या फिर दिनचर्या में बदलाव, इसकी शुरुआत एक तय संकल्प के साथ करें।
शारीरिक प्रयास अपनी क्षमता से थोड़ा अधिक हो
विशेषज्ञ कहते है कि आप हल्का वजन उठाते हैं या भारी, उससे महत्वपूर्ण यह है कि वर्कआउट के समय अपनी क्षमता से थोड़ा अधिक करने का प्रयास करें। आपके अंतिम कुछ रेप्स चुनौतीपूर्ण होने ही चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ व्यायाम में निरंतरता अधिक जरूरी हो जाती है, क्योंकि मांसपेशियों का द्रव्यमान बनाए रखने की चुनौती बढ़ती जाती है।
पुराने शरीर को दोबारा मजबूती हासिल करने में समय लगता है। आप जितना कम अपनी मांसपेशियों पर दबाव डालेंगे, उतनी ही तेज गिरावट का अनुभव करेंगे। विशेषज्ञ हर सप्ताह 20-30 मिनट्स के कम से कम दो स्टेय ट्रेनिंग सेशन का सुझाव देते हैं।
रक्त संचार को सही रखने के लिए व्यायाम से पहले वार्मअप करना आवश्यक है। वर्कआउट करते हुए सही और नियंत्रित मूवमेंट रखने के साथ सही ढंग से सांस लेना भी जरूरी है।
भोजन में शामिल करें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट
चूंकि, समय के साथ मांसपेशियां प्रोटीन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं। बढ़ती उम्र के साथ इसे बरकरार रखने या मांसपेशी द्रव्यमान बनाने के लिए आपकी कैलोरी का अधिकतम प्रतिशत प्रोटीन से आना चाहिए। लेकिन, कार्बोहाइड्रेट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
चूंकि, स्ट्रेस ट्रेनिंग के दौरान आपको अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है, ऐसे मे जो भी कार्ब ले रहे है वह कांप्लेक्स (जैसे साबुत अनाज) होने चाहिए, ताकि लंबे समय तक आपको ऊर्जा मिलती रहे। फल जैसे सिंपल कार्ब वर्कआउट से पहले, उसके दौरान और बाद में ऊर्जा को बढ़ाने में मददगार होते हैं। मांसपेशियों की वृद्धि के लिए बुजुर्गों को क्रिएटिन सप्लीमेंट दिया जा सकता है।
जल्दबाजी में नहीं होती रिकवरी
उम्र बढ़ने के साथ महत्वपूर्ण यह है कि आप कठिन व्यायाम करते समय रिकवरी के समय को प्राथमिकता दें। आप रिकवरी के दिनों में सक्रिय रहे, पर मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालने से बचें, इससे ना केवल मांसपेशियों की वृद्धि बाधित हो सकती है, बल्कि चोट लगने की आशंका भी रहती है।
एक्टिव रिकवरी के दौरान ब्रिस्क वाक या साइकिलिंग अच्छे विकल्प हो सकते हैं। साथ ही, अच्छी नींद और तनाव का सही प्रबंधन भी क्रोनिक सूजन को कम करने में सहायक होता है, जिससे मांसपेशियों के निर्माण की क्षमता में सुधार होता है। अंततः धैर्य रखें। मांसपेशियों की वृद्धि देखने या महसूस करनेमें थोड़ा समय लग सकता है। लगातार मेहनत करेंगे तो लाभ भी मिलेगा और आपकी वृद्ध आत्मा आपको धन्यवाद देगी।