नैनीताल में रहने वालीं कुमकुम नंदा उनकी बचपन की सहेली थीं। दोनों की मित्रता लगभग 65 साल पुरानी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते 50 साल से वह नैनीताल आती रहीं थीं। यहां के अधिकांश पर्यटन स्थलों पर वह जाया करतीं थीं। गुड़गांव निवासी कुमकुम नंदा के बेटे कवीस नंदा ने बताया कि उनका नैनीताल में प्रिंस नामक होटल हुआ करता था।
शीला दीक्षित अक्सर उनकी मां से मिलने के लिए नैनीताल आती रहतीं थीं। 2016 में नंदा परिवार गुड़गांव में जाकर बस गया। उन्होंने नैनीताल स्थित अपना होटल बेच दिया। शीला उनकी मां के साथ दिल्ली में मिरानड़ा हाउस कॉलेज में पढ़ा करती थीं। बाद में उनकी मां नैनीताल आ गईं। इसके बाद शीला दीक्षित का यहां भी आना जाना होने लगा।
आखिरी बार शीला दीक्षित उनके पिता के निधन पर मई 2015 में नैनीताल आईं थीं और चार दिन तक यहां रुकीं थी। 2019 में लोक सभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित उनके गुड़गांव स्थित आवास पर आईं थीं। नैनीताल आने के दौरान शीला दीक्षित का नगर में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व नगराध्यक्ष मारुति साह के घर भी आना जाना था। वह कई बार नगर अध्यक्ष के घर आईं थी।