फूल के अलावा इन पत्तियों का भी इस्तेमाल माना जाता है शुभ

पर्व-त्योहारों के समय और सामान्य पूजा के समय भी फूल-पत्तों की जरूरत समझी जाती है। सामान्य पूजा प्रसंग में भी कलश की स्थापना की जाती है। उस समय कलश पर आम के पत्ते रखे जाते हैं। मंडप आदि के समय सजावट आम, पलाश, जामुन, गूलर, महुआ, बांस तथा बेरी के पत्तों से की जाती है। गृह-प्रवेश में भी आम के पत्तों से सजावट की जाती है। इस तरह व्रत-उत्सवों में, तीज आदि के मौके पर या शिव-पार्वती की पूजा के समय या एकादशी और पूर्णिमा के व्रत के मौके पर होने वाले पूजा-पाठ के समय बेलपत्र, धतूरा तथा मदार के पत्तों का इस्तेमाल होता है।फूल के अलावा इन पत्तियों का भी इस्तेमाल माना जाता है शुभ

पूजा-पाठ में पत्तों के प्रयोग से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। बाहर से आने वाली हवा जब भी इन पत्तों को स्पर्श करके घर में प्रवेश करती है, तो वह खुद में सकारात्मक कणों को लाती हैं, जिनसे घर में सकारात्मकता तथा सुख-समृद्धि आती है। फूल के अलावा इन पत्तियों का भी इस्तेमाल माना जाता है शुभ

पतझड़ के मौसम में गिरे हुए पत्ते भी उपयोगी होते हैं। यह जमीन पर गिरकर, मिट्टी-पानी में मिलकर खाद का काम करते हैं। पत्तियां, पौधों का वह भाग हैं, जो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पत्तियां ही पौधों के लिए भोजन बनाती हैं। पत्तियां सूरज की रोशनी को ऊर्जा में बदलती हैं और उस ऊर्जा का इस्तेमाल पौधे भोजन के तौर पर करते हैं। पत्तियों का एक गुण यह भी है कि पत्तियां कार्बन गैस को सोखकर ऑक्सीजन पैदा करती हैं। देवताओं के भोग के लिए दोनें और पत्तलें भी पत्तों से ही बनती हैं। केले के पत्तों को तो थाली के रूप में भी काम में लिया जाता है। मीठे नीम के पत्ते के बिना कई व्यंजन अधूरे माने जाते हैं। तुलसी के पत्तों पर लोगों का इतना विश्वास है कि घरों में इसे गमले में लगाया जाता है। नियमित रूप से इसकी पूजा की जाती है। पत्ते प्रकृति के साथ-साथ धर्म से भी जुड़े हुए हैं। 
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