प्रो. खान मामले में  हरियाणा SIT की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

हरियाणा: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में सोनीपत के अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज मामले में हरियाणा एसआईटी की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि यह जांच गलत दिशा में जा रही है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हरियाणा के विशेष जांच दल (एसआईटी) से कहा कि वह प्रो. खान के खिलाफ उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज दो प्राथमिकियों तक ही सीमित रहें और यह देखें कि क्या कोई अपराध हुआ है। पीठ ने चार हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। पीठ ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि एसआईटी खुद को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है। उनसे पोस्ट की विषयवस्तु की पड़ताल करने की अपेक्षा की जाती है। पीठ ने कहा कि वह जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती लेकिन कोर्ट ने मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किए जाने पर सवाल उठाया।

पीठ ने एसआईटी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, एसआईटी यह कह सकती है कि प्राथमिकी की विषय-वस्तु किसी अपराध का खुलासा नहीं करती और इस मामले को बंद किया जा सकता है। वह हमेशा कह सकती है कि जांच के दौरान उन्हें कुछ ऐसी सामग्री मिली है जो अलग मामला बनाती है और कानून अपना काम करेगा। ब्यूरो

सिब्बल ने गैजेट की जांच जब्त करने पर उठाए सवाल
प्रो. खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत की ओर से एसआईटी को प्राथमिकी की विषय वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद उसने प्रोफेसर से जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को जांच के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला भेज दिया। अदालत ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद जांच में सहयोग कर रहे थे इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की कोई जरूरत नहीं थी।

जमानत की शर्तों में दी थी ढील
शीर्ष अदालत ने 21 मई को प्रोफेसर की जमानत की शर्तों में भी ढील दी थी और उन्हें अदालत में विचाराधीन मामले को छोड़कर, पोस्ट, लेख लिखने और कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दी थी। हालांकि, अदालत ने उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने तीन सदस्यीय एसआईटी को महमूदाबाद के खिलाफ प्राथमिकियों की पड़ताल करने का निर्देश दिया था।

खान के खिलाफ दो एफआईआर
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रोफेसर खान की पोस्ट को लेकर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद हरियाणा पुलिस ने उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उनकी पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला।

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