प्रोफेशनल एक्सपर्ट की योग्यता के बिना बनाया गए अध्यक्ष और सदस्य, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण तथा राज्य स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति में नियम विरुद्ध तरीके से अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

नर्मदापुरम शिक्षा एवं जनकल्याण समिति होशंगाबाद के अध्यक्ष गौरव सेठ की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग द्वारा राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण तथा राज्य स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति का गठन किया जाता है। समिति के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में शासन की ओर से वर्ष 2006 में एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी की गई थी। इसके अनुसार, उक्त पदों पर उन्हीं व्यक्तियों की नियुक्ति की जा सकती है, जिनके पास पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव तथा प्रोफेशनल एक्सपर्ट की योग्यता होनी चाहिए।

याचिका में कहा गया था कि जनवरी माह में राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में शिव नारायण सिंह चौहान तथा सदस्य के रूप में डॉ. सुनंदा सिंह रघुवंशी की नियुक्ति की गई है। इसी प्रकार, राज्य स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति के अध्यक्ष पद पर राकेश कुमार श्रीवास्तव तथा सदस्य के रूप में शिवरायल कोर्ट, विजय कुमार अहिरवार, डॉ. राजेश कुमार पांडे और डॉ. पल्लवी भटनागर की नियुक्ति की गई है। उनकी नियुक्ति के संबंध में राजपत्र (गजट) अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि जिन व्यक्तियों को अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त किया गया है, उनके पास प्रोफेशनल एक्सपर्ट होने की योग्यता नहीं है। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।

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