उत्तर प्रदेश में हवा की गुणवत्ता मापने को एएमयू-बीएचयू में बनेंगी रिसर्च लैब

उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के सटीक मापन और विश्लेषण के लिए दो प्रमुख विश्वविद्यालय में उच्च-स्तरीय रिसर्च लैब (अनुसंधान केंद्र) स्थापित की जाएंगी। ये रिसर्च लैब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में बनाई जाएंगी।

अभी तक प्रदेश में वायु गुणवत्ता का मापन मुख्य रूप से सैटेलाइट के माध्यम से किया जाता रहा है, जिसे वैज्ञानिकों द्वारा सटीक नहीं माना जाता। नए केंद्र स्थापित होने के बाद, ये रिसर्च लैब डाटा विश्लेषण के आधार पर वायु गुणवत्ता का मापन करेंगी। इस नई तकनीक से हवा में मौजूद मेटल कण, निकिल, एल्युमिनियम और आर्सेनिक जैसे विभिन्न तत्वों का भी सटीक अध्ययन करना संभव हो सकेगा।

इन केंद्रों के निर्माण के लिए जनवरी 2026 में फंड मिलने की उम्मीद है। इन रिसर्च सेंटरों का निर्माण उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (यूपी कैंप) के तहत किया जा रहा है। इनकी कीमत का खुलासा अभी यूपी कैंप के द्वारा भी नहीं किया गया है।
एएमयू सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक और इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे प्रो. सुहेल अयूब ने बताया कि यह निर्णय 2023 में उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों की बैठक में लिया गया था, जिसमें एएमयू की ओर से उन्होंने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि बीएचयू और एएमयू में खोले जाने वाले ये केंद्र एक पूर्ण रिसर्च सेंटर की तरह कार्य करेंगे।

तीन प्रकार से होता है डाटा संग्रह
सैटेलाइट के माध्यम से वायु गुणवत्ता का डाटा सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए लिया जाता है। लिए गए फोटो के आधार पर वायु की गुणवत्ता का आंकलन किया जाता है। यह मोबाइल पर देखा जाता है। दूसरा तरीका सेंसर आधारित होता है। सेंटर 5 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक के हो सकते हैं। सड़क किनारे सेंसर लगा दिए जाएं और उससे हवा गुजरती है।तीसरा सबसे अधिक वैज्ञानिक और सटीक आंकलन विश्लेषण करके होता है। जिसके लिए रिसर्च लैब बनाई जा रही हैं।

15 अन्य शहरों में रीजनल सेंटर भी बनेंगे
प्रो. सुहेल अयूब कहते हैं कि अलीगढ़ और बनारस में रिसर्च सेंटर के अलावा मेरठ, इलाहाबाद, कानपुर, फिरोजाबाद, बिजनौर, आंबेडकर नगर, गोरखपुर, आगरा सहित 15 शहरों में रीजनल सेंटर भी बनाए जाएंगे। इनसे प्राप्त डाटा रिसर्च सेंटर तक पहुंचेगा।

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