प्यार और करियर को मैनेज करने का नया तरीका है Weekend Marriage

आज के समय में जहां करियर की रेस इतनी तेज है वहीं प्यार और शादी के रिश्ते को निभाना भी एक चुनौती बन गया है। मॉडर्न कपल्स के लिए अब प्यार और करियर को साथ लेकर चलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में एक नया कॉन्सेप्ट तेजी से पॉपुलर हो रहा है- Weekend Marriage! आइए विस्तार से जानें इसके बारे में।
आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में प्यार और करियर को एक साथ संभालना कई कपल्स के लिए एक चुनौती बन गया है। जहां पहले शादी का मतलब था एक ही छत के नीचे हमेशा साथ रहना, वहीं अब युवा पीढ़ी अपने रिश्ते को एक नया आयाम दे रही है, जिसे ‘Weekend Marriage’ कहा जाता है।
यह कॉन्सेप्ट उन जोड़ों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है जो अपनी आजादी और करियर को छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन अपने रिश्ते को भी मजबूत बनाए रखना चाहते हैं।
क्या होती है वीकेंड मैरिज?
वीकेंड मैरिज एक ऐसी व्यवस्था है, जहां पति-पत्नी शादीशुदा होते हुए भी हफ्ते के पांच दिन अलग-अलग रहते हैं। वे अपने-अपने करियर, हॉबीज और दोस्तों को पूरा समय देते हैं। फिर, शनिवार और रविवार को वे एक साथ मिलते हैं और अपने रिश्ते को समय देते हैं। यह तरीका सबसे पहले जापान में शुरू हुआ था और अब धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल रहा है, खासकर उन कपल्स के बीच जो अपने करियर को लेकर बहुत महत्वाकांक्षी हैं।
इस तरह की शादी के पीछे क्या कारण हैं?
करियर को प्राथमिकता: जब पति-पत्नी दोनों की नौकरी अलग-अलग शहरों में हो या उन्हें अपने काम पर पूरा ध्यान देना हो, तो यह एक बेहतरीन विकल्प है। इससे दोनों को अपने करियर में आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
पर्सनल स्पेस और आजादी: शादी के बाद कई लोगों को लगता है कि उनकी आजादी और पर्सनल स्पेस खत्म हो गया है। वीकेंड मैरिज में आप अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जी सकते हैं, जो रिश्ते में ताजगी बनाए रखता है।
कम झगड़े और बेहतर समझ: रोजमर्रा की छोटी-मोटी बातों पर होने वाले झगड़े अक्सर रिश्ते को कमजोर कर देते हैं। जब आप सिर्फ वीकेंड पर मिलते हैं, तो हर मुलाकात खास हो जाती है और आप एक-दूसरे की छोटी-छोटी कमियों को नजरअंदाज करना सीख जाते हैं।
खुद की पहचान: इस तरह की शादी में, आप अपनी पहचान को बनाए रख पाते हैं और किसी के लिए खुद को बदलना नहीं पड़ता।
लेकिन, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। वीकेंड मैरिज के फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी हैं। जैसे कि भावनात्मक जुड़ाव की कमी, बच्चों की परवरिश में मुश्किलें और अविश्वास की समस्या। हालांकि, अगर दोनों पार्टनर में विश्वास और बेहतर कम्युनिकेशन हो, तो इस रिश्ते को भी मजबूत बनाया जा सकता है।