पौष पुत्रदा एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, संतान-सुख की होगी प्राप्ति

शास्त्रों में पौष माह में मनाई जाने वाली पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पौष पुत्रदा एकादशी व्रत आज यानी 30 दिसंबर (Paush Putrada Ekadashi 2025 Date) को किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को संतान-सुख की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से बिगड़े काम पूरे होते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं पौष पुत्रदा एकादशी की व्रत (Paush Putrada Ekadashi Katha) कथा।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Paush Putrada Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में सुकेतुमान नाम का राजा था। वह भद्रावती राज्य का राजा था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। उनके पास सभी चीजों का सुख प्राप्त था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इसी वजह से राजा और रानी बहुत ही चिंतित रहते थे।
राजा सोचता था कि उसकी मृत्यु के बाद उसका पिंडदान कौन करेगा? संतान न होने की वजह से राजा ने एक बार प्राण त्याग का मन बना लिया, लेकिन उसको पाप का बहुत डर था, जिसकी वजह से उन्हें प्राण त्याग नहीं किया। इसी वजह से राजा का मन राजपाठ में नहीं लग रहा था।
एक दिन राजा जंगल में चला गया। जंगल में राजा को पक्षी और जानवर नहीं दिखाई दिया। ऐसे में राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। राजा परेशान होकर तालाब के पास जाकर बैठ गया। तालाब के पास ऋषि मुनियों का आश्रम था। ऋषि मुनियों ने राजा से इच्छाएं पूछी, तो राजा ने कहा कि मेरी कोई संतान नहीं है।
ऋषि मुनियों ने राजा को संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। इसके बाद राजा ने पौष पुत्रदा एकादशी व्रत किया। इस व्रत शुभ फल की प्राप्ति से रानी ने कुछ दिनों के बाद गर्भ धारण किया।। फिर उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।





