पैर गरम, पेट नरम और सिर ठंडा…आखिर क्यों कही जाती है ये कहावत?

भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन के लिए कई फॉर्मूला दिए गए हैं। इन्हीं में से एक मशहूर कहावत है- ” पैर गरम, पेट नरम और सिर ठंडा।” (Natural Healing Tips) लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों कहा जाता है? क्यों पैर गर्म होने चाहिए, पेट नरम और सिर ठंडा? आइए आयुर्वेदिक डॉक्टर चंचल शर्मा जानते हैं इस कहावत का सही मतलब क्या है।
दरअसल, इस कहावत का मतलब है कि जिस व्यक्ति के पैर गर्म होते हैं, पेट नरम रहता है और सिर ठंडा, यानी वह पूरी तरह से स्वस्थ है, उसे किसी भी दवा की जरूरत नहीं है। अब आइए एक-एक करके इस बारे में जानते हैं।
क्यों होने चाहिए पैर गर्म?
आयुर्वेद के अनुसार, पैरों का गर्म रहना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। पैरों में कई जरूरी नसें और एक्यूप्रेशर पॉइंट्स होते हैं, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों से जुड़े होते हैं। अगर पैर ठंडे रहते हैं, तो यह ब्लड सर्कुलेशन खराब होने का संकेत हो सकता है। यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का लक्षण भी हो सकता है। इसलिए व्यक्ति के पैर गर्म होने चाहिए। इसके लिए आयुर्वेद में पैरों की हल्के गर्म तेल से मालिश करने की सलाह दी जाती है।
पेट नरम रखने की सलाह क्यों देते हैं?
“पेट नरम” का मतलब है कि पाचन बिल्कुल ठीक है। कब्ज, गैस या ब्लोटिंग के कारण पेट काफी हैवी महसूस होता है, जो पाचन से जुड़ी समस्या है। इसलिए अगर पेट नरम नहीं है और भरा हुआ महसूस हो रहा है, तो यह पाचन से जुड़ी किसी समस्या का इशारा हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, पेट ही कई बीमारियों की जड़ है, इसलिए पाचन तंत्र का स्वस्थ होना जरूरी है। इसलिए पेट को हेल्दी रखने के लिए फाइबर से भरपूर खाना खाएं, पानी पिएं और रोज एक्सरसाइज करें।
क्यों सिर ठंडा होना चाहिए?
सिर गर्म तब होता है, जब हमें बुखार हो जाता है। हालांकि, कई बार ज्यादा गुस्सा आने या स्ट्रेस के कारण भी सिर गर्म हो सकता है, जो स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों की वजह बन सकता है। अगर सिर ज्यादा समय तक गर्म रहे, तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने, आंखों और कानों से जुड़ी दिक्कतें और नींद न आने की समस्या भी हो सकती है। इसलिए सिर को ठंडा रखने के लिए शीतकारी प्राणायाम और चंद्र अनुलोम-विलोम करना चाहिए। साथ ही, अगर सिर गर्म हो रहा है, तो सिर पर गीला कपड़ा भी रख सकते हैं।