पेरेंट्स की ये 5 गलतियां देती हैं बच्चों को तनाव

आजकल बच्चों पर पहले से ही पढ़ाई का काफी स्ट्रेस रहता है। ऐसे में कई बार पेरेंट्स भी अनजाने में उनपर दबाव डाल देते हैं, जिसके कारण बच्चे की मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। इतना ही नहीं, इसके कारण बच्चे में ताउम्र कॉन्फिडेंस की कमी रह सकती है। इसलिए इन गलतियों (Parenting Mistakes) से बचना काफी जरूरी है।

माता-पिता बनना जितना खूबसूरत अनुभव होता है, उतना ही जिम्मेदारी भरा भी होता है। अपने बच्चे को बेहतर भविष्य देने के लिए पेरेंट्स अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार अनजाने में ही सही, उनकी कुछ आदतें (Parenting Mistakes) बच्चों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती हैं।

आज के कॉम्पिटीशन और तेज रफ्तार दौर में बच्चों में तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है और इसके पीछे अक्सर पेरेंट्स की वे आदतें होती हैं, जिन्हें वे सामान्य समझते हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही 5 आदतों के बारे में जो बच्चों को तनाव में डाल सकती हैं।

ज्यादा उम्मीदें और दबाव बनाना

“तुम्हें क्लास में फर्स्ट आना ही है”, “अगर अच्छा स्कोर नहीं किया तो तुम आगे नहीं बढ़ पाओगे”, इस तरह के वाक्य बच्चों के मन पर गहरा दबाव डालते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करे, लेकिन उनकी यह इच्छा जब गैर-जरूरी दबाव में बदल जाती है, तो बच्चा लगातार तनाव में रहने लगता है।

लगातार तुलना करना

“देखो तुम्हारा दोस्त कितना अच्छा है”, “तुम्हारी बहन तो हमेशा फर्स्ट आती है”, ऐसी तुलना बीज बच्चे के मन में हीनभावना पैदा करते हैं। जब बच्चा सोचने लगता है कि उसके अपने ही माता-पिता उसे दूसरों से कम आंकते हैं, तो उसके आत्म-सम्मान को गहरा ठेस पहुंचता है। वह खुद को कमजोर महसूस करने लगता है, जिससे उसके अंदर हमेशा दूसरों से बेहतर साबित करने की एक अनहेल्दी कॉम्पिटीशन पनपता है।

ओवर-कंट्रोलिंग पेरेंटिंग

कुछ माता-पिता बच्चे की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर रखते हैं और हर कदम पर उसे निर्देशित करते हैं। इसे ‘हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग’ कहा जाता है। ऐसे माता-पिता बच्चे की हर समस्या को खुद सुलझाने की कोशिश करते हैं, उसके दोस्त चुनते हैं और उसके समय का पूरा हिसाब रखते हैं। इसके कारण बच्चा आत्मनिर्भर नहीं बन पाता। उसे लगातार यह एहसास रहता है कि वह कुछ भी ठीक से नहीं कर सकता, जिससे उसमें फैसले लेने के डर और आत्मविश्वास की कमी पैदा होती है।

लगातार कमियां निकालना

कुछ पेरेंट्स बच्चे की कमियों पर भी फोकस करते हैं, उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना नहीं करते। “यह गलत किया”, “वह ठीक नहीं हुआ”, इस तरह की नकारात्मक टिप्पणियां बच्चे के मन में यह संदेश भर देती हैं कि चाहे वह कितनी भी मेहनत कर ले, वह कभी भी अच्छा नहीं कर सकता।

माता-पिता के बीच तनाव

घर का माहौल बच्चे की मानसिक स्थिति पर सबसे गहरा प्रभाव डालता है। अगर माता-पिता के बीच लगातार झगड़े, चिल्लाना या तनाव का वातावरण रहता है, तो बच्चा भावनात्मक रूप से अशांत और असुरक्षित महसूस करता है। वह खुद को इस तनाव का कारण भी मान सकता है, जिससे उसे गिल्ट महसूस होता है और वह हमेशा स्ट्रेस में रहता है।

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