पेरेंटिंग से जुड़ी ये 6 गलतियां बच्चों में बढ़ाती है एंग्जायटी

हर मां-बाप की यही इच्छा होती है कि वे अपने बच्चों की अच्छी देखभाल करें। लेकिन कई बार अनजाने में ही पेरेंटिंग की कुछ गलतियां (Parenting Mistakes) बच्चों में एंग्जायटी बढ़ाने लगती हैं। इसके कारण बच्चे का कॉन्फिडेंस कम होने लगता है और वे ज्यादातर असंतुष्ट महसूस करते हैं। आइए जानें क्या हैं वे गलतियां।
पेरेंटिंग एक बहुत ही चैलेंजिंग जिम्मेदारी है, और हर माता-पिता अपने बच्चों को सही तरीके से पालने की कोशिश करते हैं। हालांकि, कभी-कभी पेरेंट्स की कुछ आदतें (Bad Parenting Habits), जो उन्हें लगता है कि बच्चों के भले के लिए हैं, लेकिन असल में उन्हें मेंटल स्ट्रेस और एंग्जायटी का शिकार बना देती हैं। आइए पेरेंटिंग से जुड़ी कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में जानते हैं, जिनकी वजह से बच्चे में अनजाने में ही एंग्जायटी बढ़ने लगती है। अगर इन आदतों में सुधार न किया जाए, तो इनके कारण बच्चा जिंदगीभर असंतोष और गुस्से से जूझता रह सकता है।
हमेशा अपनी चिंताओं के बारे में बच्चों से बात करना
कई बार माता-पिता अपनी पर्सनल या पारिवारिक समस्याओं को बच्चों के सामने खुलकर बताते हैं। हालांकि, बच्चों को स्थिति की पूरी समझ नहीं होती और वे इन बातों को अपने मन में काफी गहराई में बसा लेते हैं। इससे उनके मन में डर या गुस्सा भरने लग जाता है, जो धीरे-धीरे एंग्जायटी में बदल सकता है।
ओवरप्रोटेक्टिव होना
बच्चों की सुरक्षा की चिंता करना स्वाभाविक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव होना उनके विकास में बाधा बन सकता है। ओवरप्रोटेक्टिव पेरेंट्स बच्चों को नई चीजें ट्राई करने से रोकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम होता है और वे हमेशा डर के साथ जीने लगते हैं।
माइक्रोमैनेज करना
कुछ पेरेंट्स बच्चों के हर छोटे-बड़े फैसले को कंट्रोल करते हैं, जैसे क्या पहनना है, किससे दोस्ती करनी है, या कैसे पढ़ाई करनी है। इस तरह का माइक्रोमैनेजमेंट बच्चों को अनकम्फर्टेबल कर देता है और उन्हें लगने लगता है कि उनकी कोई इच्छा या पसंद मायने नहीं रखती। इससे वे खुद पर भरोसा खो देते हैं और हमेशा दूसरों के फैलसों पर निर्भर रहने लगते हैं। अगर उन्हें खुद को फैसला लेना पड़े, तो उन्हें एंग्जायटी होने लगती है।
हमेशा बच्चों के बिहेवियर को ठीक करते रहना
बच्चों को सही रास्ता दिखाना जरूरी है, लेकिन अगर हर छोटी गलती पर उन्हें टोका जाए, तो वे खुद को अपराधी समझने लगते हैं। लगातार सुधार की कोशिश करने से बच्चे यह सोचने लगते हैं कि वे कभी कुछ सही नहीं कर सकते, जिससे उनका आत्मसम्मान कम होता है और वे एंग्जायटी में जीना शुरू कर देते हैं कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए।
बहुत हाई स्टैंडर्ड्स सेट करना
हर माता-पिता अपने बच्चे से कुछ अच्छा करने की उम्मीद लगाते हैं, लेकिन कुछ पेरेंट्स बहुत ज्यादा उम्मीदें रखते हैं और उन पर पढ़ाई, स्पोर्ट्स या और दूसरी एक्टिविटीज में परफेक्ट होने का दबाव डालते हैं। जब बच्चे इन उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते, तो वे खुद को नाकामयाब समझने लगते हैं और तनाव में आ जाते हैं।
बच्चों को गिल्टी महसूस करवाना
कुछ पेरेंट्स बच्चों को यह कहकर अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं कि “हमने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया, अब तुम्हें हमारी बात माननी चाहिए।” इस तरह की बातें बच्चों को गिल्टी फील करवाती हैं और वे खुशी से जीने के बजाय हमेशा दबाव में रहने लगते हैं। धीरे-धीरे ये बात उनमें एंग्जायटी का कारण बनने लगती है।