पेंशनरों को लेकर HC ने सुनाया फैसला, बैंकों को लगाई कड़ी फटकार

पेंशनरों को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अधिक भुगतान या किसी भी अन्य कारण का हवाला देकर पेंशन से बिना पूर्व सूचना, सहमति और नोटिस के कटौती न केवल अवैध है बल्कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन भी है।

कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि वह सभी बैंकों को स्पष्ट निर्देश जारी करे कि वे पेंशन खातों से एकतरफा या अचानक कटौती न करें। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके पेंशन खाते से पंजाब नेशनल बैंक ने बिना किसी पूर्व सूचना के 6,63,688 रुपये काट लिए। बैंक ने इसे अधिक पेंशन की वसूली बताया था। जस्टिस हरप्रीत बराड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पेंशन एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के जीवन की अंतिम अवस्था में | उसकी आर्थिक सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। अचानक की गई कटौतियां उसकी योजनाओं को तहस-नहस कर देती है।

अधिकांश पेंशनर्स चिकित्सा, दवाइयों और दैनिक जरूरतों के लिए पूर्णतः पेंशन पर ही निर्भर रहते हैं और ऐसे में बिना सूचना की गई कटौती उनके प्रभावित कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि पेंशनर को न कोई नोटिस दिया गया और न ही कोई स्पष्टीकरण मांगा गया। यह सुनवाई का अवसर देने के सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन है।

आरबीआई की मास्टर सर्कुलर का हवाला देते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि बैंक केवल उन मामलों में ही सरकार को राशि लौटाने के लिए बाध्य हैं जब गलती बैंक की हो। हाईकोर्ट ने कटौती को अवैध घोषित किया और बैंक और संबंधित विभाग को आदेश दिया कि वे पूरी राशि पेंशनर को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस करें।

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