पूर्वोत्तर में सफल हुआ ड्रोन डॉक्टर, देश भर में होगा विस्तार

देश के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में ड्रोन क्रांति इन क्षेत्रों के लिए जीवनरक्षक साबित होगी। यह बात उत्तर-पूर्व के राज्यों में सफल परीक्षण से साबित भी हो चुकी है। मेघालय और उत्तराखंड में ड्रोन तकनीक से मुख्य अस्पताल से पीएचसी और सीएचसी में दवाएं पहुंचाई जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में इसका मॉडल भी प्रदर्शित किया गया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अध्ययन में इस तकनीक को प्रभावी माना गया है। अब देशभर में ड्रोन आधारित मेडिकल डिलीवरी को विस्तार देने की तैयारी है। ड्रोन के जरिये कुछ ही मिनटों में मेडिकल सप्लाई पहुंचाकर यह प्रणाली स्वास्थ्य ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।एम्स जैसे संस्थान भी ड्रोन तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। दवाओं और सैंपल्स को ड्रोन के जरिये लाने-ले जाने का काम किया जा रहा है। स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत की सोच के साथ भविष्य में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और सड़क संपर्क से वंचित गांवों में इस तकनीक का उपयोग होगा।
सस्ती और समय बचाने वाले प्रणाली
उत्तर-पूर्व भारत से लागत-प्रभावशीलता विश्लेषण नामक अध्ययन में साबित हुआ है कि ड्रोन न सिर्फ दुर्गम इलाकों में दवाइयां, वैक्सीन, ब्लड सैंपल और आपातकालीन चिकित्सा उपकरण तेजी से पहुंचा रहे हैं, बल्कि यह तरीका सड़क मार्ग से कई गुना सस्ता और जीवनरक्षक है। प्राकृतिक आपदा, सड़क अवरुद्ध होने या दूरदराज इलाकों में गंभीर मरीज तक ड्रोन से मदद पहुंच सकती है।
मिनटों में पहुंच रहा दिल का जीवनरक्षक उपकरण
ऑटोमेटिक एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) जैसे अति-महत्वपूर्ण उपकरण भी ड्रोन से मौके पर भेजे जा रहे हैं। दिल का दौरा पड़ने पर पहले 6 से 8 मिनट जो कि गोल्ड ऑवर होते हैं उसमें एईडी का इस्तेमाल जीवन बचा सकता है। दूरदराज के गांवों में पहले यह असंभव था। अब ड्रोन से इसे मिनटों में पहुंचाया जा रहा है। एंटी-स्नेक वेनम (सांप काटने की दवा), टीबी व अन्य बीमारियों के लैब सैंपल, ब्लड यूनिट, इंसुलिन, कीमोथेरपी की दवाएं, कोल्ड-चेन वैक्सीन जैसी संवेदनशील सामग्रियां भी सुरक्षित पहुंचाई जा रही हैं।
पांच किलोग्र्राम से ज्यादा वजन ले जाने में सक्षम
वर्तमान में जिन ड्रोन से मेडिकल सामग्री की सप्लाई की जा रही, वह पांच किलोग्राम से ज्यादा वजन ले जाने में सक्षम है। मुख्य अस्पताल में बने कंट्रोल रूम से ड्रोन को निर्देश दिए जाते हैं। गंतव्य पर पहुंचते ही वहां लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर ड्रोन खुद-ब-खुद सुरक्षित उतरता है और सामान छोड़कर वापस आता है।
तकनीक को व्यापक रूप से बढ़ाने की सिफारिश
हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी डिवीजन की ओर से तकनीक को लेकर सरकार से कई सिफारिश भी की हैं। इसके तहत स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया जाए,मौजूदा सप्लाई चेन रूट को और मजबूत किया जाए, जीवन रक्षा के लिए यह तकनीक अत्यंत उपयोगी है, आपातकालीन स्थितियों में इसका और विस्तार किया जाए व विभिन्न उपयोग के मामलों को मजबूत करने के लिए और शोध किए जाएं।





