पूरे देश में एनपीआर पर शुरू हुआ काम, इन राज्यों ने लगाई रोक
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर देशभर में मचे घमासान के बीच मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की ओर कदम बढ़ा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है। एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी।
हालांकि, सीएए और एनआरसी की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य इसका भी विरोध कर रहे हैं और इसमें सबसे आगे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। सीएए और एनआरसी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालीं ममता बनर्जी ने तो बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है।
इसके अलावा केरल की लेफ्ट सरकार ने भी एनपीआर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी।
आपको बता दें कि आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना करवाई गई। प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अब तक 7 बार करवाई जा चुकी है। अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं और 2021 की जनगणना पर काम जारी है। इसे तैयार करने में करीब तीन साल का समय लगता है। इसकी प्रक्रिया तीन चरणों में होगी।
पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा। 1 मार्च से 5 मार्च के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।