पुंछ में 50 घर तबाह, कब्रों से बाहर दिखे शव

पुंछ जिले के उपजिला मेंढर में मंगलवार को चौथे दिन भी जमीन धंसने और भूस्खलन होने का सिलसिला जारी रहा। जिसके कारण गांव में दर्जनों मकान ध्वस्त हो कर जमींदोज हो गए हैं। इसके साथ ही जमीन धंसने से गांव कालाबन के मोहल्ला खेतां का कब्रिस्तान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है।

पुंछ जिले के कालाबन गांव में पिछले चार दिनों से लगातार जमीन धंसने और भूस्खलन की घटना ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। अब तक लगभग 50 ढांचे जिनमें अधिकांश पक्के मकान शामिल हैं, या तो जमींदोज हो चुके हैं या फिर क्षतिग्रस्त हैं।

तीन स्कूल भवन, एक मस्जिद, कब्रिस्तान और गांव तक जाने वाली मुख्य सड़क भी दरारों की चपेट में आ गई है। जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा ने मंगलवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र के गांव कालाबन का दौरा कर हालात का जायजा लिया।

उन्होंने बताया कि लगभग 25 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं जबकि 20 अन्य मकानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इससे वे अब रहने लायक नहीं बचे हैं। इस आपदा से लगभग 700 लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है।

राणा ने स्थानीय प्रशासन को प्रभावित परिवारों की अस्थायी पुनर्वास व्यवस्था करने और तुरंत राहत उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थायी पुनर्वास और मुआवजा देने के लिए सरकार ठोस कदम उठाएगी।

लगातार धंस रही है जमीन
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, जमीन धंसने की रफ्तार धीमी जरूर हुई है लेकिन अब भी खतरा बना हुआ है। प्रशासन की पहली प्राथमिकता प्रभावित परिवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाना है। एसडीआरएफ की टीम मौके पर मौजूद है और लोगों को क्षतिग्रस्त घरों से सुरक्षित निकाल रही है।

कब्रिस्तान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त
जमीन धंसने से कालाबन के मोहल्ला खेतां का कब्रिस्तान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। भूस्खलन से कब्रों के टूटने से उनमें दफन शव बाहर निकल रहे हैं। मंगलवार को कब्रों से बाहर निकले शवों को फिर से पूरे सम्मान के साथ दफनाने में ग्रामीण जुटे रहे।

पक्के घर पलभर में मिट्टी में समा गए
गांव के निवासी राशिद चौहान ने बताया कि हमने काफी लागत से पक्के मकान बनाए थे, पर सब कुछ पलभर में तबाह हो गया। अब हम बेघर हैं और सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, पहाड़ी ढलानों पर अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था इस आपदा की मुख्य वजह है। मंत्री राणा ने भी कहा कि विकास परियोजनाओं में बेहतर ड्रेनेज व्यवस्था अनिवार्य की जानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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