पीरियड यानी माहवारी को लेकर हमारे समाज में कई भ्रम हैं। ज्यादातर लोग पीरियड के दौरान महिलाओं को अशुद्ध मानते हैं। बहुत से व्यक्ति ऐसे हैं, जो पीरियड के बारे में परंपरा और कथाओं के हवाले से कपोल-कल्पित बातें करते हैं, जिनका कोई आधार नहीं हैं। सच यह है कि आज भारत के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां लड़की का पहला पीरियड खुशी का अवसर माना जाता है।
कर्नाटक में कई स्थानों पर आज भी एक परंपरा कायम है। इसके तहत जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड होता है तो इसे उत्सव के तौर पर मनाते हैं। लड़की को नए वस्त्र पहनाकर तैयार किया जाता है और सुमंगली महिला यानी कोई शादीशुदा महिला उसकी आरती उतारती है। लड़की को एक खास प्रकार का व्यंजन खिलाया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे पीरियड में समस्या नहीं होती है। इसी प्रकार से लड़की के पीरियड शुरू होने पर केरल और आंध्र प्रदेश में भी उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
तमिनाडु की परंपरा
तमिनाडु में तो पहले पीरियड पर तीन दिन तक उत्सव मनाया जाता है। यहां इस उत्सव को मंजल निराथु विझा के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में पहले पीरियड पर लड़की को औषधीयुक्त पानी से नहलाया जाता है। परिवार के सदस्यों और मित्रों को इस उत्सव में बुलाया जाता है। वे लड़की को सिल्क साड़ी गिफ्ट करते हैं। इसी प्रकार से असम में भी ऐसा ही त्यौहार मनाया जाता है, जहां इसे जोरू बिया के नाम से जाना जाता है।
भारतीय परंपरा और संस्कृति के नाम पर पीरियड के दौरान महिला को अशुद्ध या यूं कहें कि अछूत की तरह ट्रीट करने वाले लोग नहीं जानते हैं कि वे जिन बातों का पालन कर रहे हैं, वे भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है बल्कि भ्रम और अंधविश्वास के चलते हमारे समाज में वे बातें आ गई हैं। हां, इतना जरूर है कि पीरियड के दौरान महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं, लेकिन इसे घृणा भाव से देखना गलत है। आइए जानते हैं कि ऐसे ही कुछ मिथ जो हमारे समाज में पीरियड से जुड़े हैं, लेकिन इनके पीछे के कारण कुछ अलग हैं।
पहला मिथ- पीरियड में गंदा खून निकलता है
सच: पीरियड में निकलने वाला रक्त नसों में बहने वाले खून से अलग होता है। यह सौ प्रतिशत सच है, लेकिन यह गंदा नहीं होता है। यौनी से निकलने वाला खून, वेजाइना के टिश्यू, सेल्स, एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण बच्चेदानी में जो खून और प्रोटीन की परत बनती है, उसके टुकड़े खून के रूप में बाहर निकलते हैं। बच्चेदानी में जमा यह रक्त पीरियड के दौरान बाहर निकल जाता है, क्योंकि यह शरीर के लिए गैरजरूरी होता है।
दूसरा मिथ: अचार छूने से खराब होता है
सच: पीरियड के दौरान महिला अचार छू ले तो वह खराब हो जाता है। ऐसी मान्यता काफी समय से है, लेकिन यह गलत है। दरअसल, अचार तब खराब होता है जब कोई गीले हाथों से उसे छू ले।
तीसरा मिथ: पीरियड के दौरान महिला प्रेग्नेंट नहीं हो सकती
सच: पीरियड के दौरान गर्भाधारण की गुंजाइश कम होती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि महिला पीरियड के समय प्रेग्नेंट नहीं हो सकती। सेक्स के दौरान अगर स्पर्म वजाइना के अंदर रह जाए, तो अगले सात दिनों तक प्रेग्नेंसी के चान्सेस होते हैं।
चौथा मिथ: पीरियड के दौरान कसरत नहीं करनी चाहिए
सच: यदि किसी महिला को प्रतिदिन एक्सरसाइज की आदत है तो वह पीरियड में भी बिना किसी चिंता के एक्सरसाइज कर सकती है। इससे कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा होता है, क्योंकि पीरियड के दौरान होने वाले पेट दर्द में इससे राहत से मिलती है। एक्सरसाइज से जो पसीना निकलता है वह महिला के दर्द को कम करता है।
पांचवां मिथ: पूरे एक हफ्ते चलना चाहिए पीरियड।
सच: दरअसल, यह सब एस्ट्रोजन पर निर्भर करता है, जो एक प्रकार का हार्मोन है। यह शरीर की कई चीजों को कंट्रोल करता है, जैसे बाल, आवाज, सेक्स की इच्छा आदि। एस्ट्रोजन के कारण, हर महीने बच्चेदानी में खून और प्रोटीन की एक परत बनती है। शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा के हिसाब से खून और प्रोटीन की परत बनती है। यह थोड़ी मोटी भी हो सकती है पतली भी। जिन महिलाओं के यह परत मोटी बनती है पीरियड के दौरान उनका ज्यादा खून निकलता है, जिनके कम उनका खून कम निकलता है। मतलब एक हफ्ते तक पीरियड होना जरूरी नहीं है।
छठा मिथ: पीरियड मिस मतलब महिला गर्भवती
सच: यह सच है कि गर्भधारण पर पीरियड नहीं होते हैं, लेकिन पीरियड नहीं होने के पीछे सिर्फ यही एक कारण नहीं है। मतलब गर्भवती होने के अलावा भी कई कारण हैं जब पीरियड नहीं होते या मिस हो जाते हैं। जैसे- स्ट्रेस, खराब डाइट और हार्मोनल चेंजेस की वजह से भी कई बार पीरियड मिस हो जाते हैं।
सातवां मिथ: पीरियड के दौरान कपड़े पर दाग मतलब सब ठीक है
सच: महिलाओं के पीरियड खुलकर होना बेहद आवश्यक होता है। ऐसा नहीं होने से या समय पर पीरियड नहीं होने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। समाज में एक मान्यता है कि कपड़ों पर दाग लगा है तो मतलब पीरियड खुलकर आ रहे हैं। ऐसा नहीं है , दसअसल कपड़ों पर दाग लगे होने का मतलब यह है कि पैड पूरा गीला हो चुका है या उसे सही से नहीं पहना गया है।
आठवां मिथ: पीरियड के दौरान गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए
सच यह है: डॉक्टर्स इस बात को कोरा भ्रम करार देते हैं। उनका कहना है कि पीरियड के दौरान गुनगुने पानी से नहाना काफी अच्छा होता है, इससे बॉडी पेन और शरीर में जो एक प्रकार की ऐंठन होती है, वह दूर हो जाती है।
नौंवा मिथ: पीरियड के दौरान महिलाएं बाल न धोएं
सच: पीरियड के दौरान बाल न धोने के पीछे सिर्फ भ्रम ही एक कारण है। मेडिकल साइंस में ऐसी कोई वजह नहीं है कि महिलाएं पीरियड में बाल न धोएं। महिलाएं जब चाहें तब बाल धो