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मुंबई। बम्बई उच्च न्यायालय ने 2008 में मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उनकी गिरफ्तारी के करीब नौ साल बाद मंगलवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फंसालकर जोशी की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, “साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की अपील मंजूर की जाती है..आवेदक को पांच लाख रुपये के मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है।”
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अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा मई 2016 में साध्वी को ‘क्लीन चिट’ दिए जाने के बाद अदालत ने उन्हें पांच लाख रुपये के मुचलके पर जमानत की मंजूरी दे दी।
हालांकि, अदालत ने इसी मामले में सह आरोपी पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की अपील खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका को नामंजूर करने के फैसले को चुनौती दी थी।
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साध्वी की वकील जे.पी. मिश्रा ने कहा कि उन्होंने अदालत से मुचलके की राशि की व्यवस्था करने के लिए एक महीने का समय देने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया है।
मिश्रा ने बताया, “इसी बीच, हम इसकी व्यवस्था करके इसी सप्ताह उन्हें रिहा करा लेंगे, जो 23 अक्टूबर, 2008 से जेल में बंद हैं।”
कुछ देर बाद ही एनजीओ जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र ने घोषणा की कि वह साध्वी को जमानत दिए जाने को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
एनजीओ ने एक बयान में कहा, “जेयूईएम धमाके के पीड़ितों की ओर से साध्वी और पुरोहित को जमानत दिए जाने का विरोध किया है। हम पीड़ितों को कानूनी सहायता दे रहे हैं और अब हम इसे शीर्ष न्यायालय में चुनौती देंगे।”
सितंबर 2008 में नासिक जिले के मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी।