पीएम मोदी के इस बड़े फैसले से फिर साबित हुआ कि नहीं चलेगा भ्रष्टाचार

पीएम मोदी के इस बड़े फैसले से फिर साबित हुआ कि नहीं चलेगा भ्रष्टाचार… भ्रष्टाचार पर कार्रवाई का वादा करके केंद्र में आई मोदी सरकार दो साल बाद भी भ्रष्टाचार पर सख्ती अपनाए हुए है।दो सालों के भीतर देश ने कई ऐसे उदाहरण देखें जब मोदी ने आपसी संबंधों को पीछे रख भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाई है। जैसाकि मोदी ने चुनावी भाषण में कहा था कि भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा, वो बात वरुण गांधी जैसे मामलों में सही साबित हो रही है।

पीएम मोदी के इस बड़े फैसले से फिर साबित हुआ कि नहीं चलेगा भ्रष्टाचार

मोदी सरकार नहीं बचाएगा वरुण को

रक्षा संबंधी सूचना लीक करने के आरोपों से घिरे वरुण गांधी पर भी मोदी की सख्ती जारी है। मोदी ने सभी नेताओं से साफ कह दिया है कि कोई भी वरुण गांधी का बचाव नहीं करेगा। मोदी कोई ऐसा काम नहीं चाहते जिससे देश में उनकी छवि भ्रष्टाचार को सपोर्ट करने वाले की हो जाए।

पहले भी करते रहे हैं कार्रवाई

भ्रष्टचार को लेकर पहले भी मोदी सख्त रहे हैं। कुछ दिन पहले ही मोदी की अगुआईमेंर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन को मंजूरी दी गई जिसके तहत भ्रष्टाचार को भी गंभीर अपराध की श्रेणी में लाया गया है। नए संशोधनों के तहत इसमें घूसखोरी के अपराध में रिश्वत देने और लेने वाले दोनों को कड़ी सजा देने, भ्रष्टाचार के मामलों में सजा को न्यूनतम छह माह की बजाय तीन साल और अधिकतम पांच साल से बढ़ाकर सात साल करने और ऐसे मामलों को दो साल के भीतर निटपाने का भी प्रावधान किया गया है। यदि संसद इन संशोधनों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक 2013 को पारित कर देती हैतो देश का भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून भी संयुक्त राष्ट्र की संधि के अनुरूप हो जाएगा। साथ ही देश को एक सख्त कानून मिल जाएगा।
दरअसल, देश में भ्रष्टाचार को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखने की मांग लंबे समय से की जा रही है। क्योंकि भारत में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले बढ़ रहे हैं, इसे रोकने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं है। एक साल पहले सत्ता में आई मोदी सरकार आरंभ से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाई हुई है, उससे देश में शीर्ष स्तर पर पारदर्शिता देखने को मिल रही है।

भारत में भ्रष्टाचार कमजोर हुआ

दुनियाभर में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने भी गत वर्ष अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद भारत में सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की धारणा कमजोर हुई है।
पिछले दो-तीन सालों में देश ने देखा कि यूपीए के कार्यकाल में किस तरह घोटालों की बाढ़-सी आ गई थी। जिसके कारण संसद से लेकर सड़क तक कई आंदोलन हुए।

देश में भ्रष्टाचार को लेकर हुए आंदोलन

देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए दिल्ली भी दो बड़े आंदोलनों की गवाह बनी, जिसमें कालेधन को लेकर बाबा रामदेव और लोकपाल कानून के गठन की मांग को लेकर अण्णा हजारे का आंदोलन प्रमुख था। चौतरफा दबाव के बाद भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आखिरकार संसद ने भी चार दशक से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए लोकपाल कानून बना दिया। तमाम धरना प्रदर्शनों के बीच कुछ रसूखदार लोगों की गिरफ्तारियां भी हुर्इं, जिनके नाम घोटाले में आए थे। वहीं गत लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बना था।

सकारात्मक प्रभाव आए सामने

मई में देश की राजनीति ने करवट बदली और तीस साल बाद केंद्र में एक बार फिर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार व नौकरशाही को पारदर्शी व जवाबदेह बनाए रखने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनके सकारात्मक प्रभाव सामने आने लगे हैं। हालांकि अभी दूसरी जगहों खासकर सरकारी दफ्तरों में हालात में ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिल रहा है। इसमें दो राय नहीं कि भ्रष्टाचार के कैंसर को खत्म करना खासी मुश्किल वाला काम है, लेकिन उपाय आगे बढ़ने में ही है, समस्याओं का वास्ता देकर बैठे रहने में नहीं। इन संशोधनों के साथ बनने वाला नया कानून इसमें मददगार हो सकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि भ्रष्टाचार को सिर्फ कानून बनाकर नहीं मिटाया जा सकता है, न ही यह किसी एक नेता के बस की बात है। न्यायपालिका, मीडिया सहित शासन की तमाम संस्थाओं की सक्रियता के अलावा जागरूक जनता को भी इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभानी होगी।
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