पीएम मोदी के इस कदम तिलमिला उठा चीन, दे डाली दिल्ली उड़ाने की धमकी!

भारत के अमन और संवेदनात्मक स्वभाव से पड़ोसी देश चीन को एक बार फिर जोर का झटका लगा है। इस वजह से वह तिलमिला गया है। दरअसल भारत की बढ़ती मित्रता चीन को रास नहीं आ रही है। जब ताइवान के साथ हाथ मिलाने और उसकी मदद को तत्पर भारत के साथ अमेरिका भी इस मामले में आगे हाथ बढ़ा रहा है। चीन ने भारत को वॉर्निंग दी है कि वो ताइवान कार्ड खेलना बंद करे। इस मुद्दे को छेड़ने पर भारत को नतीजे भुगतने होंगे।

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भारत को वॉर्निंग दे रहा चीन  

बता दें आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान और भारत में काफी समय से तकरार चली आ रही है। इस मामले में जब भी भारत की ओर से कोई भी साहसिक कदम उठाया जाता है तो उसके रास्ते में चीन टांग अड़ा देता है।

ख़बरों के मुताबिक़ 12 फरवरी को ताइवान के 3 मेंबर्स वाले वुमन्स पार्लियामेंट्री डेलिगेशन ने भारत का दौरा किया था। इस वजह से चीन ने भारत से नाराजगी जाहिर की है।

ताइवान मुद्दे को लेकर चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में आर्टिकल पब्लिश हुआ है। इसके मुताबिक, “अगर भारत ताइवान कार्ड खेलता है तो ये उसका आग से खेलने जैसा होगा।”

आर्टिकल में आरोप है कि भारत लंबे वक्त से चीन से जुड़े ताइवान मुद्दे, साउथ चाइना सी और दलाई लामा के मसले को हवा देता रहा है।

आर्टिकल के मुताबिक, “भारत का ताइवान कार्ड खेलने का मकसद चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को घेरना है।”

“हाल के सालों में कॉरिडोर के काम में काफी तेजी आई है। लेकिन भारत को चीन की तरक्की देखकर चिंता सता रही है।”

अपनी बातों में उनका कहना है कि वन बेल्ट-वन रोड का ये प्रोजेक्ट भारत समेत क्षेत्र के सभी देशों को फायदा पहुंचाएगा।

चीन का मानना है कि ये कॉरिडोर कश्मीर के विवादित हिस्से से होकर गुजर रहा है। इसलिए भारत के कुछ स्ट्रैटजिस्ट ने मोदी सरकार को ताइवान कार्ड खेलने की सलाह दी।

बता दें कि चीन-पाक 46 बिलियन डॉलर की मदद से कॉरिडोर बना रहे हैं। ये कॉरिडोर पाक के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनजियांग को जोड़ेगा।

इसके साथ ही चीन ने भारत को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि आगे ऐसा हुआ तो नई दिल्ली को इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।

इसके साथ ही अपनी बात में चीन ने कहा, “ये वो वक्त है जब डोनाल्ड ट्रम्प भी ताइवान मुद्दे छेड़ रहे हैं। हमारा बस ये कहना है कि किसी को भी वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करना चाहिए।”

आर्टिकल में कहा गया है कि ताइवान भारत में स्टील, टेलिकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट कर मोदी के मेक इन इंडिया कैम्पेन को मजबूत कर रहा है।

इस मामले में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “भारत-ताइवान के बीच हाई लेवल बातचीत हमेशा से नहीं रही। फिर भारत ने ताइवान के डेलिगेशन को क्यों इनवाइट किया?”

“ये पहली बार है कि भारत ने ताइवान में साई इंग-वेन के प्रेसिडेंट बनने के बाद कोई डेलिगेशन बुलाया हो।”

बता दें कि वेन पिछले साल ही प्रेसिडेंट चुने गए थे। वे लंबे वक्त से चीन से ताइवान की आजादी की बात कहते रहे हैं।

चीन ने ताइवानी डेलिगेशन के भारत जाने पर विरोध जताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन गेंग शुआंग ने कहा, “चीन ने ताइवान डेलिगेशन के भारत दौरे का डिप्लोमैटिक विरोध जता दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करेगा। चीन उन देशों का विरोध जताता रहा है, जो एक ही वक्त में चीन और ताइवान के साथ रिलेशन रख रहे हैं।

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