पीएम मोदी अगले हफ्ते फूंकेंगे चुनावी बिगुल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीपावली के बाद 23 अक्तूबर से बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार का बिगुल बजाएंगे। इस दौरान 4 दिनों में 12 रैलियों को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीपावली के बाद 23 अक्तूबर से बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार का बिगुल बजाएंगे। पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री चार दिन सूबे को देंगे और प्रतिदिन तीन-तीन जनसभाओं को संबोधित करेंगे। उनकी जनसभाओं का आगाज 23 अक्तूबर को सासाराम से होगा। इसी दिन पीएम गया और भागलपुर में भी जनसभाओं को संबोधित करेंगे। मोदी और नीतीश 2025-2030 के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरे सीएम नीतीश कुमार समेत राजग के सभी नेता जनसभाओं में शिरकत करेंगे।

भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक पीएम इसके बाद 28 अक्तूबर को मिथिलांचल और राज्य की राजधानी का रुख करेंगे। इस क्रम में दरभंगा, मुजफ्फरपुर में जनसभाओं को संबोधित करने के बाद पटना में विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। फिर तीन दिन के ब्रेक के बाद पीएम 1 नवंबर को पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर छपरा में और प्रथम चरण की प्रचार की आखिरी तारीख के पहले 3 नवंबर को पश्चिम चंपारण, अररिया और सहरसा में जनसभाओं को संबोधित करें।

बढ़ सकती है जनसभाओं की संख्या

भाजपा सूत्रों का कहना है कि चूंकि दूसरे चरण का चुनाव 11 नवंबर को है और पहले चरण के मतदान के बाद तीन दिन का समय बचेगा। ऐसे में जरूरत पड़ी को प्रधानमंत्री का एक और कार्यक्रम बनाया जा सकता है। हालांकि अब तक 3 नवंबर तक के कार्यक्रम को ही अंतिम रूप दिया गया है।

विकास व घुसपैठ होगा मुद्दा

प्रधानमंत्री अपने भाषण में विकास और घुसपैठ को केंद्र में रखेंगे। इस दौरान केंद्र में राजग सरकार के आगमन के बाद राज्य में हुए विकास कार्यों को गिनाएंगे। इसके अलावा सीमांचल सहित कई क्षेत्रों में विदेशी घुसपैठ के कारण बदली जनसांख्यिकी से उत्पन्न खतरे से भी आगाह कराएंगे। प्रधानमंत्री के भाषणों में नारी सशक्तिकरण का मुद्दा भी अहम होगा। खासतौर से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आधी आबादी के स्वरोजगार के लिए शुरू की गई योजनाओं का जिक्र उनके भाषणों में होगा।

राहुल गांधी बिहार से दूर, पड़ रहा प्रभाव

राहुल गांधी ने चुनाव से पहले वोट चोरी पर तो खूब बवाल काटा, लेकिन अब बिहार से जैसे वह दूर हुए, कांग्रेस और महागठबंधन पर उसका प्रभाव खराब पड़ा है। बिहार का चुनाव विचारों से ज्यादा टीम मैनेजमेंट का है। महागठबंधन सीटों पर उलझा, टिकटों पर बिखरा और प्रचार पर अटका है।

एनडीए एकजुट रणनीति से मैदान पर हावी दिख रहा है वहीं एक तरफ फ्रेंडली फाइट की फिजा, दूसरी ओर नीतीश-मोदी की केमिस्ट्री! दीवाली के बाद हवाएं कैसी चलेंगी, उससे ही तय होगा कि 14 नवंबर को बिहार में सत्ता की दीवाली कौन मनायेगा।

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