पीएम ने किया खुलासा: स्किन ही नहीं मांस तक जल गया था NTPC हादसे में श्रमिकों का

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि विस्फोट का मंजर कैसा रहा होगा और घटनास्थल की स्थिति क्या रही होगी। हादसे के बाद जिले में हुए मृतकों के शवों का पीएम छह डॉक्टरों की टीम ने किया। कई श्रमिक इतने झुलस गए थे कि उनकी पहचान तक नहीं हो पाई। हालांकि बाद में उनकी पहचान हुई तो पोस्टमार्टम कराया गया। पीएम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आग ऐसी बरसी की जो भी चपेट में आया उसके शरीर की खाल झुलसने के साथ ही मांस तक जल गया। इतने बडे़ हादसे के बाद जांच-दर-जांच का दौर जारी है, लेकिन मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी अब तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है।
ये जल गए थे 80 प्रतिशत से ज्यादा
एनटीपीसी हादसे में छह ऐसे श्रमिक रहे जो 95 फीसदी से अधिक झुलस गए थे। इसमें लवलेश पुत्र तुलसी, कृष्ण मुरारी पुत्र झूरी, हीरा सिंह पुत्र रामजी, सीताराम पुत्र अज्ञात, नरेश चौधरी पुत्र मिठाईलाल और संजय बैठा पुत्र सुखलाल बैठा शामिल हैं। इसमें तीन श्रमिकों ने तो घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया था। इसी कारण तुरंत उनकी पहचान तक नहीं हो सकी थी। फैजउल्लाखां पुत्र गुलाम मुस्तफा, अवधेश जायसवाल पुत्र श्यामलाल, संजय कुमार पुत्र मंगरू पटेल, गहवर पुत्र राम औतार, रूपचंद्र पुत्र हीरा, मानचंद्र पुत्र हीरा, रवींद्र सिंह पुत्र राम विचार, जैफरुल्ला खां पुत्र मुख्तार, हबीब उल्लाखां पुत्र गुलाम मुस्तफा, ओमप्रकाश पुत्र रतीराम, बालकृष्ण पुत्र बद्री प्रसाद, पंचम पुत्र अर्जुन, कंचन कुमार पुत्र लाखन और रामरतन पुत्र कमलेश 80 प्रतिशत से अधिक झुलस गए थे। इनके बचने की कोई उम्मीद ही नहीं थी।
40 प्रतिशत जलने के बाद बचने की उम्मीद कम: डॉ. बीरबल
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीरबल का कहना है कि बच्चे और बुजुर्गों के 30 प्रतिशत और अन्य लोगों के 40 प्रतिशत जलने के बाद बचने की उम्मीद कम होती है। हादसे में मारे गए कई श्रमिकों का स्वयं पीएम किया था। सिर्फ उनकी अंगुलियां ही समझ में आ रही थीं। पूरी की पूरी त्वचा जल चुकी थी। मांस तक जल गया था। 80 प्रतिशत से अधिक झुलसने के बाद तो किसी को बचाया ही नहीं जा सकता है।
दिल्ली से आई उच्च स्तरीय जांच टीम ने एनटीपीसी में धमाके वाली छठवीं यूनिट की लगातार दूसरे दिन भी पड़ताल की। टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि कौन सामान कहां से आया और किसने लगवाया। टीम ने कार्यदायी संस्था बीएचईएल, पावर मेक और सहयोगी अन्य निर्माण एजेंसियों के अफसरों को तलब किया है। सामान की गुणवत्ता के बारे में भी इन्हीं अफसरों से जवाब तलब किया जाएगा।
एनटीपीसी में 210-210 मेगावाट की पांच यूनिट पहले से चल रही हैं, जबकि 500 मेगावाट की छठवीं यूनिट हाल ही में चालू की गई थी। इस भारी भरकम यूनिट को बनाने के लिए एनटीपीसी में बीएचईएल को जिम्मेदारी सौंपी थी। बीएचईएल ने पावर मेक कंपनी को ठेका दिया था। यूनिट के निर्माण में कई और सहयोगी निर्माण एजेंसियों लगी हुई थी। एनटीपीसी के अफसरों की माने तो निर्माण सामग्री में गुणवत्ता पूरा ख्याल रखा गया तो सवाल यह उठता है कि कम समय में ही चलने वाली यूनिट में हादसा कैसे हो गया।
तीन सदस्यीय जांच टीम लगातार दूसरे दिन भी दुर्घटनाग्रस्त यूनिट में खामियों को खंगालती रही। सूत्रों का कहना है कि एनटीपीसी के अधिशासी निदेशक एसके राय की अध्यक्षता में गठित टीम ने टरबाइन, बॉयलर, जनरेटर, हॉपर, कूलिंग टॉवर आदि का बारीकी से निरीक्षण किया। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जांच टीम गहराई से पड़ताल कर रही है, लेकिन उसके बारे में कुछ भी कहना जांच पर प्रशभनचिन्ह लगाना है।
छठवीं यूनिट में हुए धमाके और उससे एनटीपीसी की साख पर लगे बट्टे को मिटाने के लिए उच्चाधिकारी हर कोशिश में लगे हुए हैं। वे चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए, ताकि फिर ऐसी अनहोनी न हो। एनटीपीसी सूत्रों का कहना है कि निर्माण कार्य शुरू होने और तैयार होने के बीच दो जीएम ने और काम किया था, जिनका तबादला दूसरे प्लांट में हो गया है। इसमें एक जीएम राकेश सैमुअल और दूसरे विनोद चौधरी थे। माना जा रहा है कि इन अफसरों से भी पूछताछ की जा सकती है।
लखनऊ और दिल्ली से कोई टीम नहीं आई : जीएम
एनटीपीसी ऊंचाहार में दिन भर यह चर्चा रही कि यूपी और केंद्र सरकार की कोई टीम हादसे की जांच के लिए आई है, लेकिन इस बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिल सकी। इस संबंध में एनटीपीसी के जीएम आरके सिन्हा का कहना है कि कहीं से कोई टीम नहीं आई थी। सिर्फ एनटीपीसी के अधिशासी निदेशक की अध्यक्षता वाली टीम ही जांच कर रही है।