पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति को दी गई फांसी, ली गईं प्राइवेट पार्ट की फोटो

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुना दी गई है। इसमें पाकिस्तान कोर्ट ने कहा कि यदि परवेज मुशर्रफ फांसी से पहले मरे तो उनका शव तीन दिनों तक चौराहे पर लटकाया जाएगा।
बता दें कि ऐसा पहली बार नही हैं जब पाकिस्तान सरकार ने किसी शीर्ष राजनेता के खिलाफ इस तरह का सख्त रवैया अपनाया हो। इससे पहले भी पाकिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी की जेल में फौजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। आइए जानते हैं उन्हें किस तरह फांसी दी गई थी।
पूर्व पाकिस्तानी जनरल जिया उल हक ने देश के नौवें प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट कर दिया था और उन्हें कैद कर लिया था। बता दें, जुल्फिकार अली पाकिस्तान के नौवें प्रधानमंत्री और चौथे राष्ट्रपति के पद पर रहे हैं।
4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को रात के 2 बजकर 4 मिनट पर रावलपिंडी के सेंट्रल जेल में फांसी पर लटकाया गया था। देश के चौथे राष्ट्रपति के तौर पर वह 1971 से 1973 तक इस पद पर रहे और 1973 से 1977 तक बतौर प्रधानमंत्री के पद पर रहे थे। वह पाकिस्तान की प्यूपल्स पार्टी के संस्थापक थे। फांसी पर लटकाने से पहले देश के पहले प्रधानमंत्री को इतनी यातनाएं दी गई, जिसके बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
जुल्फिकार अली भुट्टो बतौर प्रधानमंत्री कार्यकाल 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक रहा था। जिसके बाद पाकिस्तान की कमान तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के हाथ आ गई थी। बता दें कि भुट्टो को फांसी की सजा विपक्षी नेता नवाब मोहम्मद अहमद खान की हत्या के मामले में दी गई थी।
4 अप्रैल 1979 को रावलपिंडी की सेंट्रल जेल जुल्फिकार अली भुट्टो फांसी की सजा दी गई। फांसी से पहले उन्हें अपनी आखिरी इच्छा बताने का मौका भी नहीं दिया गया था। पंजाब सरकार के जल्लाद तारा मसीह को भुट्टो को फांसी देने के लिए लाहौर से बुलाया गया था। उनका पूरा परिवार चार पुश्तों- रणजीत सिंह के जमाने से, फांसी देने का ही काम करता आया था।
जैसे ही घड़ी में देर रात 2 बजकर 4 मिनट हुए जल्लाद ने लीवर दबा दिया। भुट्टो के आखिरी शब्द थे ‘फिनिश इट’ भुट्टो आधे घंटे तक फांसी के फंदे पर लटके रहे। इसके बाद एक डॉक्टर ने भुट्टो की जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जब फांसी के लिए भुट्टो को लेने आए तो वह गहरी नींद में सो रहे थे। जिसके बाद उन्हें स्ट्रेचर पर रखकर फांसी के फंदे पर लेकर आए थे।
4 अप्रैल, 1979 को ठीक 2:04 बजे, जल्लाद ने लीवर दबाया और भुट्टो को फांसी दे दी गई। फांसी के आधे घंटे बाद और जेल के डॉक्टर ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के बाद, भुट्टो साहिब के लटकते हुए शरीर को 2:35 बजे नीचे उतारा। उनके शव को स्नान कराया गया, जिसकी व्यवस्था पहले ही मौके पर की जा चुकी थी।
bhutto.org के मुताबिक, एक फोटोग्राफर, जिसे एक खुफिया एजेंसी द्वारा भेजा गया था। उसने भुट्टो के प्राइवेट पार्ट की कुछ तस्वीरें ली थीं। प्रशासन इस बात की पुष्टि कराना चाहता था कि भुट्टो का इस्लामिक रीति से खतना हुआ था या नहीं। जिसके बाद उनके शरीर को लकड़ी के ताबूत में रख दिया गया और चकलाला हवाई अड्डे की ओर भेजा गया।