पाकिस्तान ने खुद ही किया सिंधु जल समझौते का उल्लंघन

ब्रिटेन ने अपने सैन्य उपकरणों और सेवाओं के लिए 10 वर्षीय योजना की समीक्षा रिपोर्ट तैयार की है। 130 पन्नों की इस रिपोर्ट में चीन को जटिल चुनौती बताया गया है। क्योंकि चीन कई बार रूस और ईरान, उत्तर कोरिया के साथ सहयोग करने को तैयार रहा है। वहीं रिपोर्ट में रूस को बड़ा खतरा बताया गया है।
सिंधु जल समझौते को लेकर पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता तब तक समझौता स्थगित रहेगा। इस बीच ताजिकिस्तान में एक सम्मेलन में भारत के पर्यावरण राज्य मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद के माध्यम से संधि का उल्लंघन कर रहा है और भारत पर दोष लगा रहा है।
सिंधु जल समझौता स्थगित (Indus Water Treaty) किए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला उठा है। शहबाज शरीफ (shehbaz Sharif on India) के एक मंत्री ने तो गीदड़ भभकी दी है कि अगर समझौते को फिर से बहाल नहीं किया जाता है तो पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन करेगा।
वहीं, भारत ने दो टूक कहा है कि जब तक पाकिस्तान क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को अंजाम देते रहेगा तब तक समझौता स्थगित रहेगा।
इसी कड़ी में ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुक्रवार को आयोजित ग्लेशियर्स पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद के जरिए इस संधि का उल्लंघन कर रहा है।
‘पाकिस्तान ने खुद ही समझौते का किया उल्लंघन’
उन्होंने कहा कि यह अटल सत्य है कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से परिस्थितियों में बेबुनियाद बदलाव आए हैं, जिससे संधि की शर्तें पर पुनर्विचार की जरूरत है।
कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि इस संधि की भूमिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि इसे सद्भावना और मित्रता की भावना में संपन्न किया गया था, और इसे ईमानदारी से लागू करना अनिवार्य है। पाकिस्तान खुद की इस संधि का उल्लंघन कर रहा है और इसके लिए वो भारत पर दोष गढ़ रहा है।
जल संधि के स्थगित होने पर क्या बोल रहा पाकिस्तान?
पाकिस्तान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि उनका देश भारत को ‘रेड लाइन’ पार करने नहीं देगा और सिंधु जल संधि स्थगित होने की वजह से करोड़ों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ चुका है।
इससे पहले ,पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने कुछ दिनों पहले सिंधु जल समझौते को लेकर बेचैनी दिखाई थी।
उन्होंने कहा था कि अगर संकट का समाधान नहीं किया गया तो बड़ी आबादी भूख से मर सकती है। सिंधु बेसिन हमारी जीवन रेखा है। हमारा तीन-चौथाई पानी देश के बाहर से आता है। हर दस लोगों में से नौ लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा बेसिनों पर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।