पाकिस्तान की नीयत पर भरोसा नहीं, रिश्तेदारों के यहां भेजे गए परिजनों की वापसी से परहेज

संघर्ष विराम के छह दिन पूरे हुए। बिना फटे पड़े गोलों और मोर्टार को हटाने के लिए ऑपरेशन क्लीयरेंस युद्धस्तर पर जारी है। ज्यादातर इलाकों में बंकरों से लोग घर आ चुके हैं। गली-मोहल्लों-सड़कों पर पसरा सन्नाटा भी धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। फिर भी हालात ऐसे नहीं, जिसे पूरी तरह से सामान्य कहा जा सके। तनाव और असमंजस कहीं न कहीं बरकरार है।

पाकिस्तान के दोहरे चरित्र पर किसी को भरोसा नहीं। सीमावर्ती क्षेत्र के लोग कहते हैं कि जब शहर के बीचोबीच बने मकान खंडहर में तब्दील हो गए, लोगों की जान चली गई, तो हम तो सीमा के एकदम करीब हैं। वहीं, शहर में रहने वालों का कहना है कि किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि जम्मू भी हमले का शिकार होगा।

यही वजह है कि लोग सजग और चौकस हैं। आज भी ज्यादातर लोग ब्लैकआउट का पालन कर रहे हैं। बंकरों की सफाई रोजाना की जा रही है और रिश्तेदारों के यहां भेजे गए बुजुर्ग, महिला और बच्चों को बुलाने से परहेज दिखाई दे रहा है। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती व उन इलाकों से रिपोर्ट जहां पाकिस्तान ने हमले किए थे…

परगवाल : नहीं बंद हो रही ड्रोन की आवाजाही
रगवाल के लोगों का कहना है कि सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा है। बीच-बीच में ड्रोन दिखाई देने से लोग परेशान हैं।

ग्रामीण काफी सतर्कता दिखा रहे हैं। शाम ढलते ही सभी गांवों की लाइटें बंद कर दी जाती हैं। सोलर लाइटों को भी ग्रामीणों ने ढक दिया है। सोलर लाइटों पर कहीं कोई बोरी टंगी है तो किसी ने ऊपर बाल्टी रख दिया है। प्रशासन की तरफ से भी ग्रामीणों को ड्रोन की गतिविधियां देखने पर अपने घर की बिजली बंद करने की हिदायतें जारी की गई हैं

उड़ी और तंगधार : खुद लौटे पर परिवार को नहीं लाए
भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान जो कुछ हुआ, उससे उड़ी के 10-12 गांव बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। संघर्ष विराम के बावजूद लोगों का तनाव बरकरार है। उनकी गतिविधियों से अंदाजा लगाया जा सकता है।

उड़ी के लगामा गांव के मो. रमजान बताते हैं, मैंने परिवार को बारामुला शिफ्ट किया हुआ है। अभी वे वहीं रहेंगे, मैं लौट आया हूं। आंकड़ों में बात करें तो 20 फीसदी परिवार अब भी नहीं लौटे हैं। तंगधार के नजाकत कहते हैं कि सेना अपना काम कर रही है, इसलिए डर नहीं। यहां सब लौट आए हैं, पर शेल्टर होम पूरी तरह से तैयार रखे गए हैं। जरूरत पड़ी तो शिफ्ट हो जाएंगे

अखनूर : रोजाना कर रहे बंकरों की सफाई, शाम ढलते ही घर के अंदर
खनूर के सीमावर्ती क्षेत्र गढ़खाल में हालात भले सामान्य हों, पर लोग अब भी पूरी तरह चौकस हैं। सतर्कता बरती जा रही है। लोग रोजाना बंकरों की सफाई करते हैं और शाम ढलने के बाद घरों में ही रहना पसंद करते हैं।

पूर्व सरपंच कुलदीप सिंह कहते हैं, बेशक संघर्ष विराम हो गया है, लेकिन पाकिस्तान का भरोसा नहीं किया जा सकता। हम लोग बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे हुए इलाके में हैं। ऐसे में अगर कुछ भी हुआ तो सबसे पहले निशाना हम सब ही बनेंगे। गांव के चौक-चौराहों पर बुजुर्ग और पुरुष इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करते नजर आते हैं। युवा जोरावर सिंह बताते हैं कि हालात को देखते हुए सभी कामकाज दिन में कर लेते हैं। अंधेरा होते ही घरों में चले जाते हैं

सांबा : भय के चलते जरा सी आहट पर खुल जाती है नींद
सांबा में जीरोलाइन के करीब रहने वाले रात के वक्त पहरेदारी करते हैं। स्थानीय निवासी सोन सिंह कहते हैं, अब तो जरा सी आहट पर नींद खुल जाती हैं।

प्रीतम सिंह कहते हैं, सुरक्षाबल लगातार सतर्क हैं। लगातार गश्त बढ़ी है। लोग लौट तो आए हैं, पर घरों के बाहर उनकी संख्या अभी भी कम दिखाई देती है। प्रीतम कहते हैं कि शाम ढलने के बाद लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं। बस पुरुष घर के बाहर पहरेदारी करते हैं और गतिविधियों पर नजर रखते हैं

अरनिया : दहशत ऐसी…बच्चों को स्कूल खुलने पर बुलाएंगे
अरनिया में भी लोग शाम ढलते ही घरों की लाइट बंद कर देते हैं। खासकर छत पर बने कमरों में रहने वाले लोग लाइट जलाने से बचते हैं। बचाव शिविर पूरी तरह से वीरवार की शाम को खाली हुए हैं। रिश्तेदारों के यहां भेजे गए बच्चों को लोग अभी बुलाने से बच रहे हैं।

कैलाश चंद्र सैनी कहते हैं कि हम लोग कोशिश करते हैं कि देर रात तक बाहर कोई न रहे। वहीं, सेवानिवृत्त शिक्षक सोहनलाल कहते हैं कि बहू और बच्चों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया था। अब स्कूल खुल जाए तब बुलाएंगे, तब तक कुछ तनाव और कम हो जाएगा

सुचेतगढ़ : सीमा पार की हर गतिविधि पर चौकस नजर
सुचेतगढ़ सीमा पर सीमा सुरक्षा बल के जवानों की बढ़ी गश्त और सीमा पार की गतिविधियों पर चौकस नजर बराबर बनी हुई है। बासपुर गांव के पूर्व सरपंच मोहिंदर चौधरी कहते हैं कि पहले की तुलना में गश्त बढ़ी है और लगातार जारी है।

चंदुचक के किशनलाल और अब्दुनियां गांव के चौधरी बचन लाल कहते हैं कि लोग घरों में लौट आए हैं, पर रात होते ही ज्यादातर घरों की लाइट बंद हो जाती है। स्ट्रीट लाइटों को अब भी ढककर ही रखा गया है। लोगों के मन में यह अंदेशा है कि अभी कुछ बंद नहीं हुआ है

पुंछ : बहुत घाव मिले हैं…अब तो आंख झपकाने में भी डर रहे
इस अघोषित युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान पुंछ को उठाना पड़ा है। यहां के लोग कहते हैं, हमें सबसे ज्यादा घाव मिले हैं। अब तो हर समय डर लगता है कि न जाने कब धमाका सुनाई दे जाए।

स्थानीय अशोक कुमार, वंदना शर्मा, मोहम्मद जुनैद, रवि कुमार, जीत सिंह, मोहम्मद सगीर कहते हैं कि अभी भी 10-20 फीसदी लोग वापस नहीं लौटे हैं। लोगों ने सामान बांधे रखा है, ताकि सायरन बजते निकल जाएं। लोग कहते हैं कि सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा सुरक्षा बल दिखाई दे रहे हैं

खोड़-ज्यौड़ियां : शाम होते ही निकलने लगते हैं सीमा से दूर
खोड़-ज्यौड़ियां में रहने वाले यूं तो घर लौट आए हैं, पर शाम ढलते ही सीमा से दूर निकलने की कवायद शुरू हो जाती है। लोगों को लगता है कि न जाने रात के अंधेरे में क्या हो जाए। बुजुर्ग तो अभी लौटना नहीं चाह रहे हैं।

इलाके के स्वर्ण सिंह बताते हैं, हम तो अभी रिश्तेदार के यहां ही रह रहे हैं। कब आने के सवाल पर कहते हैं कि अभी कुछ दिन ठहर कर आऊंगा। बीमार हूं, कौन जाने कब भागना पड़ जाए। नवीन कहते हैं कि सबकुछ सामान्य तो हुआ है, लेकिन लोगों के मन में डर है कि फिर कहीं कुछ हो न जाए

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