पाकिस्तानी महिलाओं का भारत में बन गया आधार, एक ने तो वोटिंग भी की… 

 बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) घुसपैठ व सिस्टम की गड़बड़ियों को उजागर करने का बड़ा माध्यम साबित हो रहा है। यह राज खुल रहा है कि घुसपैठियों ने आधार की ओट में खुद को छिपाए रखने का किस तरह खेल खेला है।

दरअसल, ऐसा ही एक मामला भागलपुर में पुनरीक्षण में सामने आया है कि दो पाकिस्तानी महिलाएं पांच दशक से यहां रह रहीं हैं। मतदाता सूची में उन्होंने अपना नाम भी जुड़वा रखा है। हर चुनाव में वोट भी कर रहीं हैं। एक महिला इमराना खानम तो सरकारी स्कूल में शिक्षिका बन गई है। लेकिन भेद खुलने के बाद से वह लापता है।

पुलिस ने दी संभावित ठिकानों पर दबिश

शनिवार को पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। बता दें कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआइआर मामले की सुनवाई के दौरान मतदाता सूची में नाम शामिल कराने को आधार को मान्य बताया है। वीजा लेकर पाकिस्तान से 1958 में भारत आई इमराना खानम ने भागलपुर के मुहम्मद इबनुल हसन से निकाह रचाया। इसके बाद उसने दस्तावेजी हेराफेरी कर आधार कार्ड (…303409848324) बनवाया।

मतदाता सूची में भी जुड़वा लिया नाम

मतदाता सूची में नाम जुड़वाकर यहां वोट भी देने लगी। खुद को भारतीय नागरिक बताते हुए वह उर्दू मध्य विद्यालय, भागलपुर में शिक्षिका बन गई। नाम रख लिया इमराना खातून। प्रशासन ने मतदाता सूची से नाम हटाने की कवायद शुरू कर दी है। इसी तरह अन्य पाकिस्तानी महिला फिरदौसिया खानम का नाम हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। एसआइआर में दस्तावेज की जांच शुरू हुई तो मामला पकड़ में आया।

बंगाल में गिरफ्तार पाकिस्ताना महिला ने भी बना रखा था आधार

केस स्टडी 1

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद घुसै पठियों की तलाश शुरू हुई तो पुलिस ने तीन मई को बंगाल के हुगली महिला फातिमा बीबी को गिरफ्तार किया था। वह वर्ष 1980 में अपने पिता के साथ टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी। वर्ष 1982 में उसने चंदननगर के एक बेकरी मालिक मुजफ्फर से शादी कर ली, उनको दो बेटियां हुई। मुजफ्फर ने दावा किया कि उसके पास आधार, पैन व वोटर आइ कार्ड जैसे सभी दस्तावेज हैं। फातिमा जेल में है।

पाकिस्तान से आकर बरेली में बन गई शिक्षिका

केस स्टडी-2

पाकिस्तान में पैदा हुई शुमायला खान ने अपनी मां माहिरा के मायके रामपुर के पते से निवास प्रमाण पत्र समेत अन्य कागज बनवा लिए। इनके सहारे सरकारी स्कूल में अध्यापक बनकर 2015 में बरेली में तैनाती कागज निरस्त कर मुकदमा लिखाया। निलंबित भी किया गया, वह अब कहां है, नहीं पता। माहिरा का निकाह 1979 में पाकिस्तान में हुआ था। ढाई साल बाद तलाक होने के बाद वह अपनी दो बेटियों संग भारत आकर रामपुर में रहने लगी। शुमायला का जन्म होने से वह भी पाकिस्तानी नागरिक मानी गई। बाद में मां बेटी रामपुर लौट आई, दोनों शिक्षिका बनीं। पहले माहिरा, बाद में शुमायला पर कार्रवाई हुई।

घुसपैठियों के बनाते थे भारतीय दस्तावेज

केस स्टडी-3: उत्तर प्रदेश एटीएस ने हाल ही में बांग्लादेशी घुसपैठियों और पाकिस्तानी नागरिकों केस स्टडी-3 के जाली पासपोर्ट, आधार व अन्य भारतीय दस्तावेज बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्य में लिप्त 10 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। गिरोह का नेटवर्क नौ राज्यों में है। 

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