जितेंद्र का नाम बॉलीवुड के उन स्टार्स में शुमार किया जाता है जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत के बूते फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाया और स्टारडम हासिल किया। उन्होंने कई हिट फिल्में कीं और नाम कमाया, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब जितेंद्र को मजबूरन हीरोइन का बॉडी डबल बनना पड़ा था।
ये तब की बात है जब जितेंद्र फिल्मों में कदम रख ही रहे थे। जितेंद्र पर हीरो बनने का जुनून सवार था और कुछ भी करके वो हीरो बनना चाहते थे। आखिरकार काफी मशक्कत के बाद उन्हें फिल्म ‘नवरंग’ मिल ही गई। जितेंद्र ने सोचा फिल्म में उनका लीड रोल होगा, लेकिन जब उन्हें पता चला कि फिल्म में उन्हें हीरोइन के बॉडी डबल का रोल करना है तो पहले तो वो अवाक रह गए, लेकिन बाद में मान गए।
चूंकि जितेंद्र की ये पहली ही फिल्म थी और वी शांताराम को वो काफी पसंद थे, इसलिए ना चाहते हुए भी वो हीरोइन का बॉडी डबल बनने के लिए तैयार हो गए। फिल्म रिलीज हुई और काफी हिट रही लेकिन जितेंद्र के करियर को इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
इसके बाद भी जितेंद्र की जद्दोजहद जारी रही। पहली फिल्म के बाद भी तकरीबन पांच सालों तक उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली और वो उसी तरह काम की तलाश में भटकते रहे। 1964 में जाकर जितेंद्र को फिल्म मिली ‘गीत गाया पत्थरों ने’, लेकिन इस फिल्म से भी जितेंद्र को कोई सफलता नहीं मिली।
आखिरकार 1967 में आई एक फिल्म ने उनके लिए सफलता की इबारत लिखी। ये फिल्म थी ‘फर्ज’। इस फिल्म ने ना सिर्फ रिकॉर्ड सफलता पाई बल्कि इस फिल्म में पहले गए सफेद जूते और टी-शर्ट उनका ट्रेडमार्क बन गए जिसे उनकी ‘कारवां’ और ‘हमजोली’ जैसी फिल्मों में भी फॉलो किया गया।
‘फर्ज’ से जितेंद्र की सफलता का जो कारवां चला वो फिर थमा नहीं। उन्होंने एक से बढ़कर एक कई हिट फिल्में थीं और श्रीदेवी से लेकर रेखा, जया प्रदा तक उस दौर की सभी नामी हीरोइनों के साथ काम किया।
दशकों तक फिल्मी परदे पर राज करने के बाद जितेंद्र ने 2006 में फिल्मों को अलविदा कह दिया।