‘परिचालन मुनाफा, आय से वेतन वृद्धि को जोड़ना अस्वीकार्य’

चेन्नई| इंडियन बैंक्स एसोशिएशंस (आईबीए) ने बैंककर्मियों के वेतन को बैंक के परिचालन मुनाफा और संपत्तियों से हुई कमाई (आरओए) से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है, जिसे बैंक यूनियंस ने अस्वीकार्य करार दिया है और कहा है कि वेतन वृद्धि रहन-सहन की लागत में वृद्धि को देखते हुए की जाती है और बैंकों का बिजनेस मॉडल अलग होता है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को सोमवार को बताया, “बैंक कर्मियों की वेतन वृद्धि का तरीका 1952 से ही चलन में है, जिसके तहत वेतन संशोधन रहन-सहन की लागत और महंगाई को देखकर की जाती है, न कि बैंकों के प्रदर्शन को देखकर। सभी बैंकों की क्षमता अपने कर्मचारियों को वेतन देने की है।”
उन्होंने कहा कि वेतन संसोधन पर पिछली बातचीत 29 सितंबर को मुंबई में हुई है। नौ बैंक यूनियंस की अंब्रेला बॉडी युनाइटेड फोरम फॉर बैंक यूनियंस ने आईबीए को उनके द्वारा पहले दिए गए 6 फीसदी वेतन वृद्धि को ऑफर में सुधार करने को कहा था।
इसके जवाब में, आईबीए ने कहा कि 6 फीसदी वेतन वृद्धि सभी बैंकों में की जाएगी, लेकिन इसके अतिरिक्त वृद्धि अलग-अलग बैंकों में उनके परिचालन मुनाफे और आरओए को देखते हुए की जाएगी। इस तरह से एक समान वेतन वृद्धि की तरह प्रदर्शन से इसको जोड़ा जा रहा है।
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वेंकटचलम के मुताबिक, उस बैठक में यूएफबीयू ने ध्यान दिया कि आईबीए का प्रस्ताव बैंकों के प्रदर्शन/मुनाफे के आधार पर है, जो कि उनकी मुद्रास्फीति, महंगाई, रहन-सहन की लागत बढ़ाने, बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ने के कारण वेतन वृद्धि की मांग का जवाब नहीं है।
फिर भी, आईबीए ने यूएफबीयू से कहा है कि वह इस प्रस्ताव पर विचार करे या वैकल्पिक प्रस्ताव या सुझाव के साथ आएं।
उन्होंने कहा कि आईबीए के इस नए प्रस्ताव पर यूएफबीयू की 14 अक्टूबर को होनेवाली बैठक में सोच-विचार किया जाएगा।
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