पद्मावती पर रोक लगाए केंद्र सरकार, नहीं तो होगा ऐसा कि भूल नहीं पायेगा इतिहास: तोगड़िया

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद पद्मावती पर लोगों की बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही. विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया ने पद्मावती पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र सरकार फिल्म पर रोक लगाए नहीं तो सिनेमा घर में जो होगा वो इतिहास देखेगा.पद्मावती पर रोक लगाए केंद्र सरकार, नहीं तो होगा ऐसा कि भूल नहीं पायेगा इतिहास: तोगड़िया

प्रवीण तोगड़िया ने नाम लिए बिना गुरुवार को भोपाल में बीजेपी नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, गुजरात में चुनाव लड़नेवाले बताए कि हिंदुत्व के लिए उन्होंने क्या किया? विकास के लिए लड़ना चाहते हो तो उसे बताओ भी. आज किसान, छात्र सब परेशान हैं. सिर पर कोई तलवार भी लगा दे तो तोगड़िया दिल की बात करता है. गुजरात की जनता 18 दिसंबर को विकास का जवाब देगी.

तोगड़िया ने कहा, राममंदिर नहीं बनाने वाले और कश्मीर में हिंदुओं को नहीं बसाने वाले हिंदुत्व की बात नही करें तभी अच्छा है. गुजरात में राहुल गांधी के मंदिर आने के सवाल पर कहा, मंदिर में आने वाले हर किसी का स्वागत होना चाहिए.

भंसाली की संसदीय कमिटी के सामने पेशी

उधर, गुरुवार को डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को संसद की इन्फॉर्मेशन और टेक्नॉलजी कमेटी के सामने पेश होना है, जहां वो अपना पक्ष रखेंगे. दूसरी तरफ लोकसभा की पेटीशन कमेटी के सामने भंसाली, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सेंसर बोर्ड पद्मावती विवाद पर अपना पक्ष रखेंगे. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में रानी पद्मिनी के लिए लेक्चर रखे गए हैं. प्रसून जोशी कमेटी के सामने प्रस्तुत होने के लिए पहुंच चुके हैं.

3 बजे IT कमेटी पहुंचेंगे भंसाली

दोपहर 3 बजे भंसाली को संसद की इन्फॉर्मेशन और टेक्नॉलजी की स्टैंडिंग कमेटी के सामने पेश होना है. इस कमेटी की अध्यक्षता अनुराग ठाकुर करेंगे. जहां भंसाली फिल्म को लेकर अपना पक्ष रखेंगे. इस कमेटी में परेश रावल और राज बब्बर को भी शामिल किया गया है.

बता दें, 17 नवंबर को हुई कमेटी की बैठक में ये फैसला किया गया था कि फिल्म से जुड़ी चुनौतियों पर विचार करने के लिए इंडस्ट्री के लोगों को बुलाकर बात करनी चाहिए. पद्मावती विवाद के बाद जिस तरह फिल्म इंडस्ट्री के लोगों ने अपनी नाराजगी जताई थी. उसे देखते हुए कमिटी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने तय किया सबसे पहले सबसे पहले डायरेक्टर भंसाली को बुलाया जाए.

चुप रहने की हिदायत दे चुका है सुप्रीम कोर्ट

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी. कुछ मुख्यमंत्री, मंत्री और जनप्रतिनिधियों के बयान को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सवाल किया कि जो फिल्म सेंसर बोर्ड से क्लीयर नहीं हुई है, जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग उस पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया, नागरिकों के बीच इस तरह की चर्चा एक अलग विषय है, लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग इस तरह के बयान कैसे जारी कर सकते हैं.’ केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि CBFC की ओर से क्लीयरेंस मिलने से पहले वह सुनिश्चित करे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की तरफ से ऐसे बयान न आए. कोर्ट ने आरोप लगाया कि ऐसे बयानों की वजह से फिल्म के खिलाफ माहौल बन रहा है.

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क्यों सुप्रीम कोर्ट को करनी पड़ी थी ऐसी टिप्पणी ?

दरअसल, पद्मावती पर जारी विवाद के दौरान केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विवादित बयान दिए. कुछ नेताओं ने पद्मावती के निर्देशक संजय  लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के सिर और नाक काटने की धमकी दी. करोड़ों के इनाम की भी घोषणा की. माना जा रहा है कि ऐसे बयानों ने पूरे मामले में आग में घी डालने का काम किया.

अमू ने सिर के बदले की थी 10 करोड़ के इनाम की घोषणा

हरियाणा बीजेपी चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर सूरजपाल अमू ने धमकी भरे लहजे में कहा था, देश का राजपूत समाज एक-स्क्रीन जलाने की ताकत रखता है. इन्होंने पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली और पद्मावती का रोल करने वाली दीपिका पादुकोण का सिर काटने के बदले 10 करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की थी. अमू ने कहा था, ‘अगर ये फिल्म रिलीज हुई तो हम सिनेमाघरों में स्वच्छता अभियान चलाएंगे. विवादित फिल्म को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए.’ कुछ और नेताओं ने फिल्म से जुड़े लोगों पर तेजाब फेंकने और हाथ-पैर तोड़ने की धमकी देने का आरोप लगाया.

सांसद ने दिया था शर्मनाक बयान

उज्जैन से बीजेपी सांसद ने ओछी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि जिनके घरों में औरतों के कई शौहर होते हैं वो भला जौहर के बारे में क्या जानेंगे. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा था, अलाउद्दीन खिलजी बर्बर था. उसकी रानी पद्मावती पर बुरी नजर थी. उन्होंने फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. हालांकि उन्होंने दीपिका को नाक काटने की धमकी देने की आलोचना की थी.

इन मुख्यमंत्रियों के बयान भी गौर करने लायक

#1. योगी आदित्यनाथ

यूपी सीएम योगी ने कहा था, फिल्म के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन और धमकियों के लिए भंसाली भी समान रूप से जिम्मेदार हैं. उन्हें लोगों की भावनाओं से खेलने की आदत हो चुकी है. उन्होंने कहा, इस विवाद में प्रदर्शनकारियों के साथ फिल्म निर्माताओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. मेरा मानना है कि अगर धमकी देने वाले दोषी हैं तो भंसाली भी कम दोषी नहीं हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा, जान से मारने जैसी धमकियां देने से परहेज करना चाहिए और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.

#2. विजय रूपाणी

गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने कहा था, फैसला क्षत्रीय और दूसरे संगठनों से बातचीत के बाद लिया गया है. तय हुआ है कि जब तक आपत्तियों का समाधान नहीं होगा, क़ानून-व्यवस्था को देखते हुए गुजरात में फिल्म रिलीज नहीं की जा सकती. इस फिल्म से माहौल बिगड़ सकता है. चुनाव के मद्देनजर किसी तरह की प्रतिक्रया में हिंसा से अशांति फ़ैल सकती है. गृह मंत्रालय की इस पर नजर है. रूपाणी ने कहा था, ‘मैं इस फिल्म को नहीं देखना चाहता. जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं (फिल्म से) वो अपने मुद्दे लेकर मेरे साथ आए. चुनाव के बाद हम फिल्म की रिलीज के बारे में विचार करेंगे.’

#3. शिवराज सिंह

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक समारोह में ऐलान किया था कि संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती मध्यप्रदेश की धरती पर रिलीज नहीं होगी. पद्मावती को राष्ट्रमाता करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘महारानी पद्मावती से जुड़े ऐतिहासि‍क तथ्यों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की धरती पर पद्मावती फिल्म रिलीज नहीं होगी.’ यही नहीं शिवराज ने भोपाल में देश की वीरों की याद में बनने वाले वीर भारत स्मारक स्थल में महारानी पद्मावती का स्मारक बनाने की भी घोषणा की.

#4. कैप्टन अमरिंदर सिंह

तीन राज्यों में बीजेपी की सरकारों द्वारा फिल्म के खुलेआम विरोध के अलावा पंजाब की कांग्रेस सरकार भी इसके खिलाफ खड़ी नजर आ रही है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिल्म को लेकर राजपूतों की आपत्तियों का समर्थन किया था.

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कब तक आएगी फिल्म ?

प्रसून ने कहा है कि फिल्म की वर्तमान स्थिती को देखते हुए फिल्म को सर्टिफिकेट देने में 68 दिन लग सकते हैं. उनका यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट्स को कंफर्म करता दिख रहा है, जिसमें कहा गया था कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म के मेकर्स द्वारा सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया को जल्दी करने की अर्जी ठुकरा दी है.

प्रसून ने IFFI में पिछले दिनों ये जानकारी दी थी. उन्होंने फिल्म को सेंसर बोर्ड में सबमिट करने से पहले कुछ मीडियापर्सन्स को दिखाने पर अपनी निराशा भी जाहिर की. उन्होंने कहा था, अगर लोग चाहते हैं कि सेंसर बोर्ड फिल्म पर कोई फैसला ले तो उन्हें बोर्ड को समय, स्वतंत्रता और मानसिक स्पेस देना होगा.

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