पंजाब राज्य का पराक्रमी इतिहास : जानें कैसे अन्य राज्यों से आगे हैं पंजाबी

प्राचीन समय में पंजाब भारत और ईरान का क्षेत्र था। यहाँ मौर्य, बैक्ट्रियन, यूनानी, शक, कुषाण, गुप्त आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब मध्यकाल में मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। यहाँ सबसे पहले गज़नवी, ग़ोरी, ग़ुलाम वंश, ख़िलजी वंश,तुग़लक,लोदी और मुग़ल वंश के शासकों ने यहाँ राज किया। 15वीं और 16वीं शती में गुरु नानकदेव जी की शिक्षाओं से भक्ति आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा। सिख पंथ ने एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया, मूल रूप से जिसका उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को दूर करना था। दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को ‘खालसा पंथ’ के रूप में संगठित किया। मुग़लों के दमन और अत्याचार के ख़िलाफ़ सिक्खों को एकत्र करके ‘पंजाबी राज’ की स्थापना की। पंजाब में ही बनवारीदास ने उत्तराडी साधुओं की मंडली बनाई थी। एक फ़ारसी लेखक ने लिखा है कि ‘महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब को ‘मदम कदा'(‘बाग़-ए-बहिश्त’)’ अर्थात स्वर्ग में बदल दिया था। उनके देहांत के बाद अंग्रेज़ों की साज़िशों से यह साम्राज्य समाप्त हो गया। 1849 में दो युद्धों के बाद पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य में आ गया था।

गांधी जी के स्वतंत्रता आन्दोलन से पहले ही ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ पंजाब में संघर्ष प्रारम्भ हो गया था। स्वतंत्रता संग्राम में लाला लाजपतराय ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब के नागरिकों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। देश हो या विदेश, पंजाब बलिदान में सबसे आगे रहा। विभाजन का कष्ट भी उठाना पड़ा जिसके कारण बड़े पैमाने पर रक्तपात और विस्थापन का दंश उठाया और पुनर्वास के साथ साथ राज्य के नये सिरे से संगठित करने की चुनौती का बख़ूबी सामना किया। पूर्वी पंजाब की आठ रियासतों को मिलाकर नया राज्य ‘पेप्सू’ बनाया गया और ‘पूर्वी पंजाब राज्य संघ, पटियाला’ का निर्माण करके पटियाला को इसकी राजधानी बनाया गया। 1956 में ‘पेप्सू’ को पंजाब में मिला दिया गया। 1966 में पंजाब के कुछ भाग से ‘हरियाणा’ राज्य का निर्माण किया गया।

Panjab-History

भारतीय राज्य पंजाब का निर्माण 1947 में भारत विभाजन के समय किया गया, जिस समय पंजाब को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जा रहा था। ज्यादातर प्रांत के मुस्लिम पश्चिमी भाग को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में शामिल किया गया और सिक्ख पूर्वी भाग को भारतीय पंजाब राज्य में शामिल किया गया। विभाजन के बाद बहुत से दंगे और आंदोलन हुए, क्योकि बहुत से सिक्ख और मुस्लिम लोग पश्चिम में रहते थे और बहुत से मुस्लिम लोह पूर्व में रहते थे। बहुत से छोटे पंजाबी प्रांतीय राज्य जैसे पटियाला को भी भारतीय पंजाब का ही भाग बनाया गया।

1950 में दो स्वतंत्र राज्यों का निर्माण किया गया : पंजाब में भूतपूर्व राज प्रांत को शामिल किया गया, जबकि पटियाला, नाभा, कपूरथला, मलेरकोटला, जींद, फरीदकोट और कलसिया नामक प्रांतीय राज्यों को नये राज्य दी पटियाला और ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन (PEPSU) में शामिल किया गया। बहुत से प्रांतीय राज्य और काँगड़ा जिले को मिलाकर ही हिमाचल प्रदेश की स्थापना केंद्र शासित प्रदेश के रूप में की गयी। 1956 में PEPSU को पंजाब में शामिल कर लिया गया और हिमालय में पंजाब के बहुत से उत्तरी जिलो को हिमाचल प्रदेश में शामिल कर लिया गया।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में पंजाब के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- करतार सिंह सराभा ·ऊधम सिंह · भगतसिंह · सुखदेव · लाला लाजपत राय · राजकुमारी अमृत कौर · प्रताप सिंह कैरों · सोहन सिंह भकना · इन्द्र विद्यावाचस्पति · जगतराम · भाई परमानन्द · गुरुबख्श ढिल्लो · मदन लाल ढींगरा · गुरदयाल सिंह ढिल्‍लों · पंडित कांशीराम · राम सिंह · गोकुलचन्द नारंग · हरि किशन सरहदी · बलवंत सिंह ·

 

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