पंजाब में सतलुज, ब्यास-रावी और घग्गर दरिया समेत सभी नालों की होगी स्टडी

इस बार पंजाब में बाढ़ से वर्ष 1988 और 2023 से भी ज्यादा हालात खराब है। सतलुज, ब्यास और रावी में अधिक पानी आने के कारण 1300 से ऊपर गांव डूब गए हैं। अब घग्गर का जलस्तर बढ़ने के कारण भी आसपास के गांव इसके चपेट में आने शुरू हो गए हैं।

पंजाब में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। बाढ़ की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार 10 वर्षीय मास्टर प्लान तैयार करने जा रही है, ताकि भविष्य में इससे निपटने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।

प्रदेश में चार प्रमुख नदियों सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर समेत सभी नालों की स्टडी करवाई जाएगी। इस संबंध में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जल स्रोत विभाग ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस काम के लिए कंसल्टेंट हायर किया जा रहा है।

विभाग के अनुसार उनका मकसद उद्देश्य बाढ़ प्रबंधन, जल निकासी दक्षता, पानी का सही उपयोग, नदी तट विकास और पर्यावरणीय गतिविधियों के लिए एक ढांचा तैयार करना है, जिसमें वैज्ञानिक उपाय भी शामिल होंगे। रिपोर्ट के आधार पर ही नदी तटों को पक्का करने, सफाई और आधुनिकरण करने का काम किया जाएगा। साथ ही उन संभावित इलाकों को भी शामिल किया जाएगा, जहां बाढ़ का अधिक खतरा रहता है।

योग्य एजेंसियों से मांगे गए आवेदन
सीएम भगवंत मान की हरी झंडी के साथ ही विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। विभाग इस काम के लिए वह कंसल्टेंट की सेवाएं लेने जा रहा है, जिसके लिए योग्य एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं

अधिक पानी से निपटने के लिए होगी तैयारी
सतलुज की क्षमता 2 लाख क्यूसेक तक पानी की है। इसी तरह ब्यास 80 हजार क्यूसेक और रावी की क्षमता भी 2 लाख क्यूसेक तक पानी की है। इस बार बांधों से अधिक पानी छोड़ने के कारण इन नदियों में अधिक पानी आ गया। इससे नदियों के साथ लगते नाले भी ओवरफ्लो हो गए। मास्टर प्लान में इन सभी बातों को ध्यान में रखा जाएगा कि किस तरह अधिक पानी के लिए नदियों व नालों को तैयार किया जाए। नालों की सफाई करने के साथ ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत किया जाए और साथ ही नई नहरों का निर्माण किया जा सके, ताकि पानी का सही उपयोग हो सके। वर्ष 2023 में आई बाढ़ के बाद भी सरकार ने सर्वे करवाने का फैसला लिया था, जिसके लिए ड्रोन भी खरीद लिए गए थे। तब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी विभाग ने रिपोर्ट सबमिट की थी, लेकिन अब एजेंसी हायर करके ही पूरा मास्टर प्लान तैयार करने पर सहमति बनी है।

रिपोर्ट में यह सब किया जाएगा शामिल
सभी नदियों के फ्लड जोन चिन्हित किए जाएंगे।
नदी व नालों में अतिक्रमण वाले क्षेत्रों की पहचान की जाएगी।
मानसून व आम दिनों के दौरान नदी का जल प्रवाह का पता लगाया जाएगा।
सर्वे से जुटाए आंकड़ों के उपयोग से तटबंधों, बांधों, और अन्य बाढ़ नियंत्रण उपायों की योजना बनाई जाएगी।

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