पंजाब में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों की बढ़ी मुश्किलें

पंजाब में सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना पहले जैसा आसान नहीं होगा। सड़क दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी और पुराने परीक्षण प्रणाली की कमजोरियों को देखते हुए, पंजाब सरकार ने नए और उन्नत ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक मॉडल को लागू करने का निर्णय लिया है। यह कदम ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और चुनौतीपूर्ण बनाने के लिए उठाया गया है।
अब तक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जो भी पारंपरिक तरीका अपनाया जाता था, जिसमें इंस्पेक्टर के निर्णय पर निर्भरता होती थी, उसे पूरी तरह से बदल दिया गया है। अब, उम्मीदवारों को डिजिटल और ऑटोमेटेड प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो न केवल अधिक पारदर्शी होगी, बल्कि सड़क पर सुरक्षित ड्राइविंग सुनिश्चित करेगी। राज्य सरकार ने इस उद्देश्य के लिए ‘हेमा’ नामक एक नया सॉफ्टवेयर लागू किया है, जिसे माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित किया गया है। इस सॉफ्टवेयर के तहत अब लाइसेंस के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षण होंगे, जिसमें इंस्पेक्टर की कोई भूमिका नहीं रहेगी।
नई प्रक्रिया के अनुसार, टेस्ट ट्रैक पर लगाए गए सेंसर, कैमरे, आरएफआईडी और एआई-आधारित स्कोरिंग सिस्टम से ड्राइविंग की हर गलती पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अगर ड्राइवर किसी नियम का उल्लंघन करता है, जैसे लेन बदलना, गति सीमा पार करना या रिवर्स करना, तो वह तुरंत फेल कर दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अब जुगाड़ के जरिए लाइसेंस प्राप्त करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने पर पता चला कि ज्यादातर हादसे ड्राइवरों की बुनियादी ड्राइविंग गलतियों के कारण होते हैं, जैसे रिवर्स कंट्रोल, ओवरटेकिंग में गलती, अचानक ब्रेक लगाना, और लेन बदलने में लापरवाही।
इस नए टेस्ट सिस्टम को सबसे पहले मोहाली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। ट्रांसपोर्ट विभाग के प्रशासनिक सचिव, वरुण रूजम ने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी और सिस्टम की सख्ती से ड्राइविंग कौशल पर जोर दिया जाएगा। अगले तीन से चार महीने में इसे राज्य के सभी जिलों में लागू कर दिया जाएगा। अब, अगर ड्राइवर एक भी गलती करता है, तो उसे ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त नहीं हो सकेगा।





