पंजाब में असला लाइसैंस धारकों के लिए बड़ी खबर

सरेआम चोरों, गैंगस्टरों और लुटेरों द्वारा की जा रही वारदातों से अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखने के शौकीन पंजाबियों के लिए अब उनके हथियार लाइसेंस मुसीबत बनते जा रहे हैं। वजह यह है कि कुछ समय पहले सरकार ने इन लाइसेंसों को रिन्यू करवाने के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया है, साथ ही सरकारी फीस में भी हजारों रुपए की बढ़ोतरी कर दी है। इस वजह से यह पूरी प्रक्रिया काफी महंगी और मुश्किल हो चुकी है। ऐसे हालात में हथियार रखना आम लोगों के लिए बड़ी सिरदर्दी और जोखिम का कारण बन गया है। इसलिए बहुत से हथियार मालिक अब अपना लाइसेंसी हथियार आधी से भी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर नजर आ रहे हैं।

ध्यान देने योग्य है कि कुछ साल पहले हथियार लाइसेंस को रिन्यू करवाने की फीस करीब 150 से 200 रुपये होती थी और बिना किसी सरकारी टेस्ट या परेशानी के, एक ही दफ्तर में फाइल जमा कर कुछ दिनों में लाइसेंस आसानी से रिन्यू हो जाता था। लेकिन आजकल पिस्तौल और बंदूकों के जरिए होने वाली हत्याओं व अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार ने “गन कल्चर” पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। अब रिन्यूअल के लिए हजारों रुपये खर्च करके सरकारी अस्पतालों में धक्के खाकर डोप टेस्ट करवाना पड़ता है और फिर अधिकारियों के सामने हथियार रखने का ठोस कारण भी देना होता है। अगर संतोषजनक कारण न हो, तो केवल दिखावे के लिए हथियार रखने वालों के लाइसेंस रद्द भी किए जा रहे हैं।

बेशक पंजाबियों में हथियार रखने का शौक शुरू से ही लोकप्रिय रहा है, लेकिन कुछ समय से यह लाइसेंसी हथियार गलत हाथों में जाने लगे हैं। फुकरा और नासमझ युवा नशे में शादी-ब्याह या अन्य खुशी के मौकों पर दिखावे के लिए हवाई फायर कर देते हैं, जिससे कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा, अवैध हथियार रखने वाले चोर और लुटेरे भी दिनदहाड़े फायरिंग कर लूटपाट करते हैं, जिससे कई आम लोगों की जान गई है। इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए पंजाब सरकार ने अब हथियारों पर सख्ती शुरू कर दी है। इलाके के हथियार मालिकों का कहना है कि सरकारी फीस में भारी बढ़ोतरी के अलावा, पंजाब में बार-बार होने वाले चुनावों के चलते उन्हें अपने हथियार पुलिस थानों या हथियारों की दुकानों पर जमा करवाने पड़ते हैं, और इसके लिए भी जेब से पैसे देने पड़ते हैं। इस सब के कारण उनका हथियार और लाइसेंस अक्सर लंबे समय तक सरकारी प्रक्रिया में ही जमा रहते हैं, जबकि पंजाब में चोरी-लूट की घटनाएं अब आम बात बन चुकी हैं।

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