द‌िल्ली: नोटबंदी को 1 साल पूरा अब भी नहीं सुधरे हालात, बाजारों में नहीं लौटी रौनक

नोटबंदी का असर एक साल बाद भी दिखाई पड़ रहा है। बाजारों में रौनक अब भी पूरी तरह नहीं लौटी है। पिछले दिनों कुछ रौनक लौटी भी तो जीएसटी ने व्यापारियों के हालत खराब कर दी।
द‌िल्ली: नोटबंदी को 1 साल पूरा अब भी नहीं सुधरे हालात, बाजारों में नहीं लौटी रौनकग्राहक सिर्फ अपने जरूरत के सामान ही खरीद रहे हैं। व्यापारियों की मानें तो त्योहारों के दौरान भी व्यापार में उछाल नहीं देखने को मिला। इसके पीछे वे नकद राशि की कमी को मुख्य वजह बता रहे हैं।

पिछले एक साल से दिल्ली का व्यापार जगत अपने को ठगा महसूस कर रहा है। बाजार में भीड़ तो रह रही है, लेकिन खरीदार नदारद हैं। व्यापारियों की मानें तो केंद्र सरकार की नीतियों के कारण त्योहारों के दौरान भी 50 प्रतिशत तक व्यापार कम हुआ।

दिल्ली हिंदुस्तान मर्केटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण सिंहानिया के अनुसार ग्राहक अब सिर्फ अपनी जरूरत के सामान ही खरीद रहे हैं। पांच हजार से ज्यादा कपड़ों की खरीदारी करने वाले लोग काफी कम है। चांदनी चौक स्थित कपड़ों का बाजार बिलकुल मंदा है। 

मंदी से अभी भी व्यापारी वर्ग उबर नहीं पाया है

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश आहूजा के अनुसार नोटबंदी के बाद जीएसटी ने व्यापारियों का कमर तोड़ दी। एक साल पहले जो मार्केट में मंदी छाई, उससे अभी भी व्यापारी वर्ग उबर नहीं पाया है।

थोक व्यापारी चेक व आरटीजीएस के माध्यम से पेमेंट करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। जबकि, परेशानी यह है कि चेक क्लियरेंस के पहले ही हमसे सिर्फ बिल बनाने पर टैक्स ले लिया जाता है।

 दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत आहूजा का कहना है नोटबंदी के बाद भी लोगों के पास नकद नहीं है। खरीदारी बेहद ही कम हो गई है। सभी व्यापार चौपट हो गया है।

पांच हजार से अधिक की खरीदारी नहीं
 व्यापारी वर्ग का कहना है कि बाजार में पैसे का फ्लो बिलकुल खत्म हो गया है। ज्यादातर खरीदार अब पांच हजार रुपये से ज्यादा की खरीदारी नहीं कर रहे हैं। हालांकि ग्राहक कैश में लेन-देने शुरू कर चुके हैं। इसका फायदा यह हो रहा है कि मजदूर वर्ग को दिहाड़ी देने में व्यापारियों को परेशान नहीं होना पड़ रहा है। 

नकद देकर खरीदारी में ज्यादा भरोसा  

कैश लेस खरीदारी को बढ़ावा देने की नीति भी परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। खरीदार अभी डिजिटल की बजाए कैश लेन-देन में ही भरोसा ज्यादा जता रहे हैं।

नोटबंदी के तुरंत बाद खरीदार व दुकानदार कैशलेस की तरफ जरूर रुख किए, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद वापस नकद से ही जरूरत के सामान खरीद रहे हैं। हालांकि 10 हजार से ज्यादा की खरीदारी करने वाले जरूर प्लास्टिक कार्ड से खरीदारी कर रहे हैं।

डिजिटल पेमेंट से बचते हैं व्यापारी
ग्राहक के साथ व्यापारी भी डिजिटल पेमेंट कराने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। दरअसल, डिजिटल पेमेंट का रिकार्ड सरकार के पास चला जाता है, ऐसे में किसी तरह की हेरा-फेरी संभव नहीं है। दूसरा कारण यह भी है कि जिस दुकान पर ज्यादा भीड़ होती है, वहां का दुकानदार समय की बचत के लिए डिजिटल मशीन को खराब होने या इंटरनेट की सुविधा नहीं मिलने का बहाना बनाकर कैशलेस पेमेंट लेने में दिलचस्पी नहीं लेता है।

पेट्रोल पंप व मॉल में डिजिटल पेमेंट सफल 

डिजिटल पेमेंट में मॉल व पेट्रोल पंप पर किसी तरह की परेशानी नहीं है। मॉल में ज्यादातर खरीदार डिजिटल वाले पहुंचते हैं। मॉल वालों को भी कैशलेस सुविधा देने में ज्यादातर परेशानी नहीं है।

इसी तरह पंच सितारा होटल में भी डिजिटल लेन-देन सफल होता दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों एटीएम से चार बार से ज्यादा लेन-देन पर बड़ी राशि की कटौती वाली नीति से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला है। 

व्यापारियों की समस्या
बाजार में नकद का फ्लो कम होने से व्यापारी वर्ग परेशान है। दरअसल उन्हें मजदूर वर्ग को नकद में ही मजदूरी देनी होती है। रोजमर्रा की चीज खरीदने के लिए मजदूर भी नकद में पैसा लेने की मांग करते हैं।

उधर, सरकार का दबाव डिजिटल पेमेंट की तरफ रहता है, ऐसे में व्यापारियों को नकद पैसा देने में परेशान होना पड़ता है। जीएसटी के कारण भी व्यापारी बेहद परेशान हैं। अभी भी जीएसटी की पेचिदगियों में व्यापारी वर्ग उलझा हुआ है। कंप्यूटर की समझ नहीं होने के कारण उलझन बढ़ गई है। डिजिटल पेमेंट के लिए इंटरनेट की समस्या भी उन्हें परेशान कर रही है।

 
 

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