नेपाल में दो साल की बच्ची को जीवित देवी चुना गया, परंपरा के अनुसार ली गई थी कठिन परीक्षा

नेपाल में नई कुमारी या जीवित देवी के रूप में दो साल आठ महीने की एक बच्ची का चयन किया गया है। आर्या तारा शाक्य नाम की कन्या ने मंगलवार को विधिवत रूप से पारंपरिक कुमारी सिंहासन ग्रहण किया। कुमारी का चयन शाक्य लड़कियों में से किया जाता है जब तक वे अपनी पहली माहवारी का अनुभव नहीं करतीं। कुमारी की पूजा हिंदू और बौद्ध दोनों करते हैं।

नेपाल में ‘नई कुमारी या जीवित देवी’ के रूप में दो साल आठ महीने की एक बच्ची का चयन किया गया है। आर्या तारा शाक्य नाम की कन्या ने मंगलवार को विधिवत रूप से पारंपरिक कुमारी सिंहासन ग्रहण किया।

काठमांडू के तलेजू भवानी मंदिर के पुजारी उद्धव कर्माचार्य के अनुसार उन्होंने मंगलवार को एक शुभ मुहूर्त में एक विशेष समारोह के दौरान कुमारी घर में औपचारिक रूप से प्रवेश किया।

कुमारी की पूजा हिंदू और बौद्ध दोनों करते हैं
कुमारी का चयन शाक्य लड़कियों में से किया जाता है, जब तक वे अपनी पहली माहवारी का अनुभव नहीं करतीं। हाल ही में पूर्व कुमारी 12 वर्ष की आयु में अपनी पहली माहवारी के बाद पदमुक्त हो गईं। कुमारी की पूजा हिंदू और बौद्ध दोनों करते हैं।

हालांकि, कुमारी चुनने वाली शाक्य समुदाय को बौद्ध माना जाता है, लेकिन कुमारी को हिंदू देवी के रूप में पूजा जाता है। कुमारी पूजा की परंपरा 500 से 600 वर्ष पुरानी है, जो मल्ल राजाओं के शासन में शुरू हुई। कुमारी को देवी तलेजू का मानव रूप मानते हैं।

एक कठोर चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा
नेपाल के राष्ट्रपति के जीवित देवी की पूजा करने व अगस्त में इंद्रजात्रा महोत्सव में उनका आशीर्वाद लेने की परंपरा है। वर्तमान कुमारी की आयु 2 वर्ष और 8 महीने है। इस भूमिका के लिए उन्हें एक कठोर चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।

चयन प्रक्रिया में उन्हें अंधेरे कमरे में रखा जाता है
चुने जाने के लिए उनकी माहवारी शुरू नहीं होनी चाहिए। उनके शरीर पर कोई खरोंच या घाव नहीं होना चाहिए और उन्हें निर्भीक होना चाहिए। चयन प्रक्रिया में उन्हें अंधेरे कमरे में रखा जाता है, जहां भैंस का सिर और डरावने मुखौटे रखे जाते हैं और बिना डरे बाहर आना होता है।

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