नीतीश कटारा के हत्यारे विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं; दूसरे केस में गुजरात सरकार व ED को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से मना कर दिया। विकास यादव 25 साल की सजा काट रहा है और अब तक 23 साल जेल में रह चुका है। कोर्ट ने कहा कि वह जमानत बढ़ाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करे। विकास यादव ने अपनी शादी और 54 लाख रुपये का जुर्माना भरने की जरूरत का हवाला देकर जमानत मांगी थी। पहले सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत एक हफ्ते के लिए बढ़ाई थी।

विकास, यूपी के पूर्व नेता डी.पी. यादव का बेटा है। वह और उसका चचेरा भाई विशाल यादव, नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के दोषी हैं। नीतीश और विकाश की बहन भारती यादव के रिश्ते का परिवार ने विरोध किया था क्योंकि वे अलग जातियों से थे। तीसरे आरोपी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा मिली थी, जिसे वह पूरी कर चुका है। 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया था।


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पत्रकार महेश लांगा की जमानत याचिका पर जवाब मांगा। लांगा पर मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है। महेश लांगा की जमानत पहले गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने पूछा, ‘वह किस तरह के पत्रकार हैं?’ कोर्ट ने टिप्पणी की कि कई लोग खुद को पत्रकार बताते हैं, जबकि उनकी गतिविधियां अलग होती हैं।

महेश लांगा पर कई एफआईआर दर्ज हैं। पहले दो मामलों में उन्हें अग्रिम जमानत मिली थी, लेकिन तीसरे मामले में टैक्स चोरी का आरोप लगा। फरवरी 2025 में ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। यह मामला अहमदाबाद पुलिस की दो एफआईआर पर आधारित है, जिसमें धोखाधड़ी और करोड़ों के गबन के आरोप हैं।


तमिलनाडु में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर ‘सुप्रीम’ नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार से पूछा कि राज्य में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक क्यों नियुक्त किया गया। कोर्ट ने यूपीएससी को नियमित डीजीपी की नियुक्ति के लिए जल्द नाम सुझाने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यूपीएससी की सिफारिश मिलने के बाद राज्य सरकार नियमित नियुक्ति क

यह याचिका वकील हेनरी टिफैग्ने ने दायर की थी। उनका कहना है कि 2018 के प्रकाश सिंह मामले के फैसले के अनुसार, राज्य सरकार को डीजीपी की नियुक्ति से तीन महीने पहले यूपीएससी को नाम भेजना जरूरी है। तमिलनाडु सरकार ने दलील दी कि एक अधिकारी ने कैट में याचिका दायर की है, जिसके कारण स्थायी डीजीपी की नियुक्ति फिलहाल नहीं हो सकी।

एल्गार परिषद केस- आरोपी की जमानत याचिका पर 15 सितंबर को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत की चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका पर 15 सितंबर को सुनवाई करने का फैसला किया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ राउत की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बावजूद उन्हें जेल में रखे जाने को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने राउत की जमानत याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुरोध पर अपने ही आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में उनकी रिहाई पर लगी रोक बढ़ा दी। सोमवार को, राउत के वकील ने कहा कि कार्यकर्ता रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित हैं और उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है जो जेल या जेजे अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, जहां उनकी जांच की गई है।

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