नास्तिक बनने वाली चीन की हकीकत का हुआ खुलासा, हिंदुओं के इस भगवान की रोज करते हैं पूजा
‘वैली ऑफ वर्ड्स’ के सत्र में ‘दि ओसन ऑफ चर्न एंड दि लैंड आफ सेवन रिवर्स’ के लेखक संजीव सान्याल ने इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अपनी पुस्तक लिखने के लिए शोध के दौरान उन्होंने चीन में शिवालयों को देखा है।
चीन के लोग मंदिरों में अपने आराध्य की पूजा कर रहे हैं। यहां बने मंदिर 800 ईसवी के हैं। कई स्थानों पर भगवान शिव और मां पार्वती के अलग-अलग मंदिर हैं और कहीं एक मंदिर में दोनों विराजमान हैं।
सान्याल का कहना है कि भारत, चीन, कोरिया समेत अन्य एशियाई देशों में शैव संस्कृति के साक्ष्य बिखरे पड़े हैं। इससे साबित है कि शैव विचारधारा सिर्फ भारत में नहीं पूरे एशिया में फैली रही। संजीव सान्याल हैरत से कहते हैं कि पता नहीं क्यों? इतिहासकारों, लेखकों और विज्ञानियों का ध्यान इस तरफ नहीं गया। उनका कहना है कि उस दौर में लोग खूब समुद्री यात्राएं करते रहे।
संस्कृत, पाली, प्राकृतिक, अरबी संपर्क भाषाएं रही हैं। पानी का जहाज बनाने की कला अनोखी रही हैं। खाड़ी देश के लोग भी इसी आधार पर अपने यहां जहाज बनाते रहे। जहाज बनाने में इस कला का अभी भी इस्तेमाल होता है।