नामुमकिन था इस गैंगस्टर को जिंदा पकड़ना, एनकाउंटर करने अपनाए ये रास्ते

जयपुर.राजस्थान के खतरनाक और मोस्ट वांटेड गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर उसके परिजन और गांव के लोग भले ही सवाल उठा रहे हों, लेकिन पुलिस और एसओजी का साफ कहना है कि इसकी मौत मुठभेड़ में हुई, इसमें कोई साजिश या राजनीतिक दबाव नहीं था। हालांकि, इस एनकाउंटर में शामिल अफसर, कमांडो और जवान ये जानते थे कि आनंदपाल को जिंदा पकड़ना मुमकिन नहीं था। इसके लिए पुलिस ने कई तरह के हथकंडे अपनाए थे। 4 कदम बताते हैं कि उसे घेरने कैसे पूरी की थी तैयारी।
नामुमकिन था इस गैंगस्टर को जिंदा पकड़ना, एनकाउंटर करने अपनाए ये रास्ते
आधे घंटे काटी गई थी पूरे गांव की बिजली…
– एसओजी आरोपी विक्की और देवेन्द्र को शनिवार रात 9 बजे रतनगढ़ लेकर आ गई थी। इसके बाद उन्हें साथ में लेकर मालासर गई। यहां पर दोनों आरोपियों ने श्रवण सिंह राठौड़ के मकान की तस्दीक की थी।
– इसके बाद पुलिस विक्की व देवेन्द्र को वापस रतनगढ़ ले आई और दोनों को भारी सुरक्षा जाप्ते में रखा गया। इसके बाद एसओजी व पुलिस आनंदपाल का सामना करने के लिए मालासर गई। इसीलिए घटना के दिन पुलिस ने मालासर में श्रवण सिंह के मकान की घेराबंदी करने से पहले ही यह तैयारी कर ली थी कि अगर आनंदपाल सरेंडर नहीं करता है तो जरूरत पड़ने पर एनकाउंटर कर दिया जाए। ।

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– रात 10.30 बजे एसओजी और चूरू पुलिस के 35 पुलिसकर्मी मालासर पहुंच गए थे। पहले आनंदपाल को सरेंडर करने की चेतावनी दी गई और वह छत पर चढ़कर फायरिंग करने लगा। तब तक गांव में बिजली आ रही थी। करीब 11 बजे पुलिस ने गांव की बिजली कटवा दी। अंधेरे का फायदा उठाकर ही कमांडो घर में घुसे और करीब 11:25 पर फायरिंग में आनंदपाल मारा गया। इसके 10 मिनट बाद ही बिजली आ गई।

 
2#. पुलिस के जवानों के पास थी टॉर्च
पुलिस टीम ने बिजली कटवाने के ऑप्शन पर पहले ही सोच लिया था, क्योंकि घर में घुसने वाले कमांडो और जवानों के पास टॉर्च थी। अगर बिजली कटवाने का फैसला मौके पर लिया होता तो ऐसा नहीं होता।
 
3#.पंक्चर किए आनंदपाल के व्हीकल्स
पुलिस ने मकान की घेराबंदी करते हुए वहां खड़ी स्कॉर्पियो और स्पोर्ट्स बाइक के टायर पंक्चर कर दिए थे। वे पहले ही इस तैयारी में थे कि आनंदपाल को मकान से न निकलने दिया जाए। उसे मकान के अंदर ही घेरे रखने पर ही पुलिस की स्ट्रेटेजी टिकी थी।
 
4#.रतनगढ़-सुजानगढ़ हाईवे जाम
पुलिस को आशंका थी कि आनंदपाल घर से निकला तो कोई भी व्हीकल लेकर भागने की कोशिश कर सकता है। जब मालासर के मकान में मुठभेड़ चल रही थी उस वक्त रतनगढ़-सुजानगढ़ हाईवे पर अचानक ही जाम लग गया। सूत्रों के मुताबिक ये जाम पुलिस ने जानबूझकर लगवाया था ताकि आनंदपाल मालासर से भागे भी तो हाईवे पर जाम में फंस जाए।
 
सभी कहते थे- सरेंडर नहीं करेगा अानंदपाल, मारेगा या मर जाएगा
अपने नेटवर्क में ‘एपी’ के नाम से जाना जाने वाला आनंदपाल एसओजी और पुलिस के हाथ से कई बार निकल चुका था। दो बार मुठभेड़ हुई तो वो पुलिस पर गोली चलाते हुए भाग निकला। उसकी मोडस ऑपरेंडी को देखते हुए पुलिस का मानना था कि उसका सरेंडर करना मुश्किल है। पुलिस की गिरफ्त में आए उसके नेटवर्क के साथियों का भी यही कहना था कि एपी सरेंडर नहीं करेगा, मारेगा या मर जाएगा। ऐसे में पुलिस को आनंदपाल की लोकेशन कन्फर्म होते ही कमांडो टीम को रवाना कर दिया गया।
 
नवंबर 2012: होते-होते बचा आनंदपाल का एनकाउंटर
एटीएस के एडिशनल एसपी संजीव भटनागर और एक अफसर के सुपरविजन में नवंबर 2012 में रेनवाल पहाड़िया रोड पर दबिश दी गई थी, जहां आनंदपाल छुपा हुआ था। तब आनंदपाल पुलिस पर फायरिंग करने वाला था, लेकिन एक अफसर बैकफुट पर आ गए और जवानों को पीछे हटने के लिए कहा। सूत्रों के मुताबिक जवान व कमांडो पीछे हटने से मना करते हुए मौके पर डट गए। वह अफसर खुद आनंदपाल के सामने गया और समाज का हवाला दे सरेंडर को कहा। आनंदपाल तब सरेंडर नहीं करता तो एनकाउंटर में मारा जाता।
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