नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सीकर पॉक्सो कोर्ट ने सुनाया फैसला

सीकर की पॉक्सो कोर्ट संख्या 2 ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में फैसला सुनाया है। साथ ही सख्त टिप्पणी की है। इस मामले में मुख्य आरोपी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना और उसके दोनों सहयोगियों पर 10-10 हजार का जुर्माना लगाया गया है। वहीं, दो सहयोगी आरोपियों को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
राजस्थान की सीकर की पॉक्सो कोर्ट संख्या 2 के द्वारा एक 15 साल की नाबालिग लड़की से रेप के मामले में फैसला दिया है। यहां कोर्ट ने मुख्य आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। जबकि उसके दो सहयोगी आरोपियों को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा दी है। वहीं, मुख्य आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना और उसके दोनों सहयोगियों पर 10-10 हजार का जुर्माना लगाया गया है।
कोर्ट ने की यह टिप्पणी
कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘एक अबोध बालिका की कहानी है जो अपनी पीड़ा किसी को बता नहीं पाई और उसकी जीवन यात्रा असमय ही समाप्त हो गई। यूं कहें कि एक कमल पुष्प असमय ही मुरझा गया। काश वह बालिका अपनी पीड़ा किसी को बता पाती। उसके परिजन उसे भावनात्मक संबल प्रदान करके सुरक्षित रखने और दुष्चक्र से बचाने में मदद कर पाते। यदि समाज उसकी आवाज बनता तो एक पुष्प विकसित होने से पहले मुरझाता नहीं’।
कक्षा 10वीं की छात्रा थी मृतिका
दरअसल सीकर जिले के श्रीमाधोपुर इलाके की रहने वाली एक महिला ने 7 अक्टूबर 2020 को सीकर जिला एसपी के सामने पेश होकर एक रिपोर्ट दी थी। जिसमें उसने बताया कि उसकी 15 साल की नाबालिग बेटी जो की दसवीं कक्षा की छात्रा थी। उसके साथ कुछ लोगों ने गैंगरेप करके उसका मर्डर कर दिया और फिर उसके शव को रेलवे ट्रैक के पास नग्न अवस्था में छोड़कर चले गए।
कोर्ट में एविडेंस के दौरान यह साबित हुआ
एसपी को दी रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज हुआ। मामले में मुख्य आरोपी अरुण उसके सहयोगी महावीर, नरेश और एक नाबालिग को पकड़ा गया। इनमें महावीर, अरुण और नरेश के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश हुआ। कोर्ट में एविडेंस के दौरान यह साबित हुआ कि नाबालिग का गैंगरेप नहीं बल्कि रेप हुआ था, जिसमें मुख्य आरोपी अरुण था और अन्य उसके सहयोगी थे। जांच-पड़ताल में पता चला कि नाबालिग का मर्डर नहीं हुआ था, पीड़िका छात्रा ने सुसाइड कर लिया था। इसके बाद कोर्ट ने सजा सुनाई।