नहरों के किनारे खेती करने वाले किसानों के लिए अब खेतों की सिंचाई और भी होगा आसान….

नहरों के किनारे खेती करने वाले किसानों के लिए अब खेतों की सिंचाई और भी आसान हो जाएगी। मेड़ पर नालियां बनाकर नहरों आसानी से फसलों तक पहुंचाया जाएगा। खेतों तक नालियां का खर्च सरकार उठाएगी। जिले में 35 हजार हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझाने के लिए नाली का निर्माण होगा। इसपर सिचाई एवं जल संसाधन विभाग कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट कार्यक्रम के तहत 87.67 करोड़ रुपये खर्च करेगा। शासन के निर्देश पर खेतों में नालियां बनाने के लिए सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। इससे 100 गांवों के करीब 80 हजार किसानों को फायदा होगा। ये कार्य दिसंबर में शुरू कराने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

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38 सेंटीमीटर होगी नाली की चौड़ाई

नहर से खेतों तक बनाई जाने वाली नाली की चौड़ाई 38 सेंटीमीटर व ऊंचाई 40 सेंटीमीटर होगी। किसानों के बीच विवाद न हो, इसके लिए खेत के मेड़ को मध्य में रखकर नाली बनाई जाएगी। कुलाबा से निकलते समय 100-150 मीटर में पक्की नाली होगी, जबकि आगे मिट्टी की कच्ची नाली बनाई जाएगी। इससे करीब 100 गांवों के 80 हजार किसान लाभान्वित होंगे। एक हेक्टेयर पर खर्च होंगे 25050 रुपये

नाली निर्माण को लेकर खर्च भी तय कर दिया गया है। एक हेक्टेयर नाली निर्माण के लिए 25050 रुपये खर्च होंगे। इसमें केंद्र व राज्य सरकार के बराबर 50:50 फीसद बजट शामिल है। वर्जन-

कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट कार्यक्रम के तहत 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर नाली निर्माण का लक्ष्य मिला है। सर्वे का कार्य लगभग पूरा हो गया है। जल्द ही कार्य कराने के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

– मूलचंद सैनी, भूमि संरक्षण अधिकारी, सिचाई एवं जल संसाधन विभाग

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