नवंबर महीने में कब-कब है एकादशी?

हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और प्रभु की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं। अब नवंबर का महीना शुरू होने वाला है, तो ऐसे में चलिए जानते हैं इस माह में कब-कब एकादशी है।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पापों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन पूजा और व्रत करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और भगवान विष्णु की कृपा से बिगड़े काम पूरे होते हैं। हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार नवंबर में देवउठनी एकादशी और उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इन दोनों एकादशी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

देवउठनी एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवउठनी एकादशीव्रत किया जाता है। इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी व्रत 01 नवंबर को किया जाएगा।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर

देवउठनी एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 02 नवंबर को किया जाएगा।
व्रत पारण करने का समय- दोपहर समय 01 बजकर 11 मिनट से लेकर शाम 03 बजकर 23 मिनट तक।

उत्पन्ना एकादशी 2025 डेट और टाइम
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 06 नवंबर से हो रही है। इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 15 नवंबर को देर रात 12 बजकर 49 मिनट पर
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 37 मिनट पर

उत्पन्ना एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम
उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण 16 नवंबर को किया जाएगा। व्रत का पारण करने के बाद अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करना फलदायी साबित होता है।
व्रत पारण करने का समय- दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से लेकर 03 बजकर 23 मिनट तक।

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