नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद तिगुनी हो गई एबीवीपी की ताकत, पूरे देश में बढ़ गए समर्थक

दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार के चलते हुई हिंसा के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर एक बार फिर से निशाने पर हैं। एबीवीपी के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने सेमिनार के दौरान कुछ स्पीकर्स पर देश विरोधी होने कहा और हंगामा किया। साथ ही कर्इ छात्र-छात्राओं से मारपीट का आरोप भी उन पर लगा है।पिछले साल भी उन पर इसी तरह के आरोप लगे थे जब जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर कार्यक्रम हुआ था। एबीवीपी पर इस तरह के आरोपों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। देश के कई राज्यों से एबीवीपी की कथित गुंडागर्दी की खबरें सामने आ रही हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी एबीवीपी का गढ़ रहा है। पिछले कई बार से वह यहां लगातार चुनाव जीतती आ रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी एबीवीपी से डीयू के प्रेसीडेंट रह चुके हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स से एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया कन्वेनर साकेत बहुगुणा ने बताया कि जो कुछ भी मीडिया में चल रहा है उससे उनके संगठन की नकारात्मक छवि बन गई है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ”रिपोर्ट हमें गुंडों के रूप में दर्शा रही हैं जो सभी को पीटते हैं। इसे एबीवीपी बनाम छात्र क्यों बताया जा रहा है? क्या हम छात्र नहीं हैं?”
हालांकि एबीवीपी नेताओं का कहना है कि संगठन की नेगेटिव छवि वामपंथी छात्र संगठनों की कारस्तानी हैं। वामपंथी संगठन देशभर के विश्वविद्यालयों में मजबूती से जमे हुए हैं और इसके जरिए वे एबीवीपी की गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं। उनका मानना है कि लेफ्ट संगठनों में एबीवीपी की बढ़ती पैठ के चलते हलचल और इसके कारण ही वे ऐसे कदम उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई एबीवीपी की लोकप्रियता में साल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद काफी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्तमान में इस संगठन के लगभग 32 लाख सदस्य हैं जो कि 2003 में केवल 11 लाख थे। नरेंद्र मोदी ने जिस साल केंद्र में सरकार बनाई उस साल इसकी सदस्यता में नौ लाख की वृद्धि हुई।
हालांकि अभी भी एबीवीपी अन्य प्रमुख संगठनों एनएसयूआई और एआईएएफ से सदस्यता के मामले में पीछे हैं। एनएसयूआई कांग्रेस का छात्र संगठन है और इसके 40 लाख सदस्य हैं। वहीं एआईएसएफ कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन है और इसके 35 लाख सदस्य हैं। सीपीएम के छात्र संगठन एसएफआई के 15 लाख सदस्य हैं। एबीवीपी देश के 20 हजार कॉलेजों में उपस्थिति रखता है। 2016-17 के छात्रसंघ चुनावों में इसने 1116 कॉलेजों में चुनाव लड़ा था और 849 में जीत दर्ज की थी।